नई दिल्ली : भारत में 60 फीसदी लोग अपने धर्म के अनुसार रोजाना प्रार्थना करते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से दुनिया के सौ से अधिक देशों में धर्म के महत्व पर किए गए अध्ययन में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया के लोग सबसे अधिक जबकि जापान के लोग सबसे कम धार्मिक हैं। वर्ष 2008 से 2023 के बीच किए गए अध्ययन के अनुसार, सबसे अधिक लैटिन अमेरिकियों ने प्रतिदिन प्रार्थना करने की बात कही। ग्वाटेमाला और पैराग्वे में 82 फीसदी जबकि कोस्टा रिका और होंडुरास में 78 प्रतिशत ने यह बात मानी। अमेरिका के 45 फीसदी व्यस्कों ने कहा कि नियमित प्रार्थना करते हैं। सर्वेक्षण में शामिल पूर्वी एशियाई देशों (जापान, चीन, मंगोलिया, उत्तर एवं दक्षिण कोरिया और ताइवान) के महज 21 फीसदी वयस्कों ने कहा कि वे रोजाना प्रार्थना करते हैं। इसमें हांगकांग के 13 फीसदी जबकि जापान के 19 फीसदी लोग शामिल हैं।
इसी तरह दुनिया में 80 फीसदी से अधिक लोगों ने माना कि उनकी जिंदगी में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। उप सहारा अफ्रीका के सेनेगल, माली, तंजानिया, जाम्बिया में 90 फीसदी से अधिक लोगों की राय में धर्म का उनके जीवन में बेहद अहम है। इससे उन्होंने अपने रोजमर्रा के जीवन में कई बदलाव महसूस किए हैं। इसके उलट सर्वेक्षण में शामिल लगभग सभी यूरोपीय देशों में लोगों ने धर्म को ज्यादा अहमियत नहीं दी। एस्टोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, लातविया और फिनलैंड में 10 फीसदी या इससे भी कम वयस्कों ने इस बात को स्वीकार किया।
हालांकि, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में लोग उप-सहारा अफ्रीका और यूरोप की तरह नहीं सोच नहीं रखते। इस क्षेत्र में कई स्थानों पर वयस्कों ने धर्म को बहुत अधिक महत्व देने की बात कही। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया में लगभग हर वयस्क ने कहा कि धर्म उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। वहीं, सिंगापुर में महज 36% और वियतनाम में 26% ने इसका जवाब हां में दिया। वहीं 42 फीसदी अमेरिकियों ने इस बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
भारत में करीब 30 हजार वयस्कों से धर्म से संबंधित आहार विकल्पों के बारे में पूछा गया। सर्वे में पाया गया कि खाने-पीने को लेकर यहां के लोग ज्यादा सतर्क हैं। 67 फीसदी जैन समुदाय के लोग जड़ वाली सब्जियां खाने से परहेज करते हैं। 50 फीसदी लोगों ने ही कहा कि वे कभी किसी ऐसे व्यक्ति के घर खाना खाएंगे जिनके धर्म में भोजन के बारे में अलग नियम हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि जहां कुछ पूर्वी एशियाई लोग धर्म को अपने जीवन में बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं या दैनिक प्रार्थना करते हैं, वहीं पूरे एशिया क्षेत्र में अधिकांश लोग आध्यात्मिक विश्वास रखते हैं और पारंपरिक अनुष्ठान करते हैं। उदाहरण के लिए पूर्वी एशिया में लोग अपने पूर्वजों के सम्मान में अनुष्ठान आयोजित करते हैं।