भोपाल: धीरे-धीरे तपिश बढ़ रही है, वहीं पानी के संकट की आहट भी सुनाई देने लगी है। मध्य प्रदेश के हर घर को जल मुहैया कराने की अनेक योजनाएं चल रही है, मगर अधिकांश जल समूह योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी बताती है कि राज्य में संचालित समूह जल प्रदाय योजनाओं में से प्रदेश में 26 समूह योजनाओं के कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 20 योजनाएं पूर्णता की ओर हैं और 69 योजना के कार्य विभिन्न चरणों में हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ल ने अधिकारियों से कहा है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का अमला लगातार ग्रामीण क्षेत्र का भ्रमण करे। विगत वर्षों के अनुभव के आधार पर ग्रामों-बसाहटों में पेयजल समस्या का आंकलन किया जाए। स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के साथ चिन्हांकित ग्रामों-बसाहटों में पेयजल समस्या के निराकरण के लिए ग्राम और बसाहटवार कार्य-योजना तैयार कर कारवाई सुनिश्चित की जाए।
प्रमुख सचिव शुक्ल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में हैण्डपंपों के संचालन की नियमित समीक्षा की जाए। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनिश्चित करें कि बंद हैण्डपंपों का सुधार कार्य 24 घंटे में पूरा किया जाए। प्रमुख सचिव ने कहा कि सी.एम हेल्पलाइन में हैण्डपंपों के संधारण कार्य तथा नल जल प्रदाय योजनाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण की नियमित समीक्षा की जाए।
प्रमुख सचिव ने कहा कि जिलों की सभी नल जल प्रदाय योजनाएं चालू रहें। कोई भी नल-जल योजना विद्युत समस्या या विद्युत कनेक्शन के विच्छेद होने से बंद न रहें। जल जीवन मिशन में प्रगतिरत जिन योजनाओं में जल स्त्रोत तथा पाइप लाइन के कार्य पूर्ण हो गए हैं, उन योजनाओं में सीधे पंपिंग कर पेयजल की आपूर्ति प्रारंभ कराई जाए।
प्रमुख सचिव ने निर्देश दिये हैं कि ग्रीष्मकाल में जिन ग्रामों में पेयजल व्यवस्था के लिए पेयजल परिवहन ही अंतिम विकल्प रह जाता है, ऐसे ग्रामों में पेयजल व्यवस्था के लिए जल की गुणवत्ता का परीक्षण कर जल-स्त्रोतों का चिन्हांकन कर लिया जाए। शासकीय जल स्त्रोत उपलब्ध न होने की स्थिति में निजी जल स्त्रोतों के अधिग्रहण की कार्यवाही की जाए। साथ ही ग्राम पंचायतों में उपलब्ध पानी के टैंकर अच्छी स्थिति में रखे जाएं।