गाजियाबाद: गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित राज अंपायर में रहने वाले 31 वर्षीय हरीश राणा की सांसें तो चल रहीं, लेकिन वह 2013 से बिस्तर पर हैं। क्वाड्रिप्लेजिया बीमारी से पीड़ित हरीश 100 प्रतिशत दिव्यांग हैं और उनका शरीर निष्क्रिय है। हरीश की मां निर्मला देवी ने बेटे को इच्छा मृत्यु के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई, लेकिन 8 जुलाई को कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी।
पिता अशोक राणा ने बताया कि वर्ष 2013 में रक्षाबंधन के दिन बेटा पीजी की चौथी मंजिल से गिर गया था। बेटे के सिर में गंभीर चोट आई थी, लेकिन जब उसे देखा तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगा था कि अब वह कभी उठ नहीं पाएगा। 11 साल से बेटे का इलाज कराने के साथ उनकी सेवा में लगे हैं। बेटे का इलाज पीजीआई चंडीगढ़, एम्स, आरएमएल, एलएनजेपी और अपोलो जैसे तमाम अस्पतालों में करा चुके हैं, लेकिन हरीश को कोई फायदा नहीं हुआ। अशोक राणा ने बताया कि दिल्ली महावीर एंक्लेव में उनका तीन मंजिला मकान था, जो सितंबर 2021 में बेच दिया। अब और इलाज कराने की आर्थिक क्षमता नहीं रही। उम्र ढल रही है। हमेशा बेटे के साथ नहीं रह सकते। बेटे के लिए मौत मांगना आसान नहीं है, लेकिन हर दिन उसकी मौत नहीं देख पाते।
उनका कहना है कि अब वह सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएंगे। जहां से उन्हें उम्मीद है कि जरूर मदद मिलेगी। सरकार उनके बेटे के इलाज एवं देखरेख की जिम्मेदारी ले या वह चाहते हैं कि उनके बेटे को इच्छा मृत्यु दी जाए। हरीश के शरीर के जो अंग काम कर रहे हैं उनको दान कर दूसरों को नया जीवन दिया जाए। हरीश वर्ष 2013 में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक में अंतिम वर्ष के छात्र थे। जिस दिन दुर्घटना हुई उसके अगले ही दिन वह पंजाब विश्वविद्यालय में होने जा रही वेट लिफ्टिंग की फाइनल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले थे, लेकिन हादसे की वजह से ऐसा नहीं हो सका।