नई दिल्ली: रामनवमी की मध्यरात्रि को गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। इससे सभी मांगलिक कार्यों पर अगले एक माह तक विराम लग जाएगा। चैत्र शुल्क नवमी गुरुवार रात 2.51 बजे से (अर्थात् 31 मार्च प्रारम्भ) गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। एक माह बाद वैशाख शुल्क अष्टमी 28 अप्रैल दोपहर 12.56 बजे गुरु का तारा पूर्व दिशा में उदय होगा। इस बीच एक माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। इस मध्य सगाई, विवाह, देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, गृह प्रवेश आदि पर रोक रहेगी। हालांकि वैशाल शुक्ल तृतीया जिसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है, अबूत मुहूर्त 22 अप्रैल को मांगलिक और शुभ कार्य होंगे।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार आखातीज को सूर्य और चंद्रमा उच्च के होते हैं अर्थात् सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं। इसके चलते आखातीज को गुरु तथा शुक्र अस्त का दोष नहीं लगता है। इसी कारण आखातीज को अबूझ मुहूर्त कहते हैं और अक्षय तृतीया को किए गए समस्त शुभ व मांगलिक कार्य अक्षय हो जाते हैं।