वाशिंगटन : वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण ने पश्चमी देशों में भारत में अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिमों की स्थिति को लेकर की जा रही बयानबाजी के बीच यहां कहा कि वर्ष 1947 के बाद भारत में मुस्लिमों की आबादी में बढोतरी हुयी है और इसमें वृद्धि जारी है जबकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या में भारी कमी आयी है।
अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर आयी श्रीमती सीतारमण ने कल वाशिंगटन डीसी में स्थित अमेरिकी थिंक टैंक पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (पीआईआईई) में भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और विकास पर चर्चा के दौरान भारत की नकारात्मक पश्चिमी ‘धारणा’ का करारा जवाब दिया। श्रीमती सीतारमण ने भारत के प्रति नकारात्मक पश्चिमी ‘धारणा’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत आकर देखें कि यहां क्या हो रहा है, बजाय इसके कि उन लोगों द्वारा बनाई जा रही धारणाओं को सुनें, जो जमीन पर भी नहीं गए हैं और रिपोर्ट पेश करते हैं।
चर्चा के दौरान श्रीमती सीतारमण से पूछे गये सवाल कि पश्चिमी प्रेस में विपक्षी दल के सांसद की सदस्यता खोने और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हिंसा का शिकार होने के बारे में व्यापक रिपोर्टिंग हो रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है और यह आबादी संख्या में अब भी बढ़ रही है। यदि कोई धारणा है या यदि वास्तव में ऐसा है कि उनका जीवन कष्टमय है या सरकार के समर्थन से मुश्किल बना दिया गया है, जैसा कि इनमें से अधिकांश लेखों में लिखा जाता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह भारत के बारे में इस मायने में कहना सही होगा जब मुस्लिम आबादी 1947 की तुलना में बढ़ रही है। वहीं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है और उनकी संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ मुस्लिम समुदायों की संख्या भी पाकिस्तान में कम हुई है। वहीं भारत में हर वर्ग के मुस्लिम अपना व्यापार कर रहे हैं, उनके बच्चे शिक्षा पा रहे हैं और उन्हें फेलोशिप दी जा रही है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर मामूली आरोप लगाए जाते हैं, जिसके लिए मौत की सजा जैसी सजा दी जाती है। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का ज्यादातर मामलों में व्यक्तिगत प्रतिशोध को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है। पीड़ितों को तुरंत दोषी मान लिया जाता है। कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर उन्होंने कहा कि यह भारतीय लोगों का लचीलापन है जो उन्होंने इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया तथा लोगों ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया और त्रासदियों के बावजूद अपने कारोबार के लिए घर से बाहर निकले।
भारत में निवेश या पूंजी प्रवाह को प्रभावित करने वाली धारणाओं पर पीआईआईई के अध्यक्ष एडम एस पोसेन को जवाब देते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा “ मुझे लगता है कि इसका उत्तर उन निवेशकों के पास है जो भारत आ रहे हैं, और वे आते रहे हैं। किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जो निवेश प्राप्त करने में रुचि रखता है, मैं केवल इतना कहूंगी कि आइए देखें कि भारत में क्या हो रहा है, बजाय इसके कि उन लोगों द्वारा बनाई जा रही धारणाओं को सुनें जो जमीन पर भी नहीं गए हैं और रिपोर्ट तैयार करते हैं।”
ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के सवाल पर उन्होंने कहा कि आजकल मुक्त व्यापार समझौते तेजी से हो रहे हैं। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता अभी किया है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मॉरिशस और आसियान देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता किया था। साथ ही भारत अल्प विकसित देशों के साथ कोटा मुक्त और टैरिफ मुक्त व्यापार को भी बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत हो रही है।
उन्होंने कहा कि अभी भारत की यूरोपीय यूनियन, कनाडा और ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। एक अन्य सवाल के जबाव में उन्होंने कहा “मैं चाहूंगी कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अधिक प्रगतिशील हो, सभी देशों को ज्यादा से ज्यादा सुने और अधिक निष्पक्ष हो। इसे उन देशों की आवाजों को जगह देनी होगी जिनके पास कहने के लिए कुछ अलग है और सिर्फ सुनते ही नहीं बल्कि कुछ हद तक ध्यान भी देते हैं।”
सर्वे ऑफ ह्यूमन राइट्स के अनुसार, 1941 की जनगणना बताती है कि पाकिस्तान में 14 फीसदी हिंदू थे। 1951 की जनगणना में यह संख्या सिकुड़कर सिर्फ 1.3 प्रतिशत रह गई। 2022 की सेंटर फॉर पीस एंड जस्टिस पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में कुल हिंदू 22,10,566 हैं जो देश की कुल आबादी का सिर्फ 1.18 प्रतिशत है। हिंदू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। 75 साल में भी इनकी आबादी इसलिए नहीं बढ़ी क्योंकि आए दिन हिंदू परिवारों को जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ता है। कट्टरपंथी हिंदू बच्चियों को अगवा करते, उनका जबरन धर्मांतरण करवाते और फिर उनकी शादी कर देते। मीडिया रिपोर्ट्स आए दिन इस तरह की घटनाओं के बारे में जानकारी देती हैं। वहीं भारत में 1951 की जनगणना के अनुसार मुस्लिमों का आबादी 3.5 करोड़ थी जो पिछली जनगणना यानी 2011 में बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई।
गैर-मुस्लिम समुदायों को छोड़ भी दिया जाए तो पाकिस्तान में अल्लाह की इबादत करने वाले भी सुरक्षित नहीं हैं। हर साल अहमदिया मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों की कई घटनाएं दर्ज की जाती हैं। पाकिस्तान के मुस्लिम अहमदिया समुदाय के लोगों को ‘गैर-मुस्लिम’ मानते हैं। साल 2021 से अहमदिया समुदाय के पूजा स्थलों पर 30 से अधिक हमले हो चुके हैं। कई बार उनकी कब्रों को अपवित्र करने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।