नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन गए हैं। रविवार को उन्होंने राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मोदी के साथ ही 71 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। इनमें 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्यमंत्री हैं। ज्यादातर पुराने चेहरों को ही नई सरकार में जगह मिली। लेकिन मोदी सरकार 3.0 में एनडीए के सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में मौका मिला है। वहीं नए मंत्रिमंडल में लगभग हर राज्य का प्रतिनिधित्व है। केरल से दो मंत्रियों को बनाया गया है, पंजाब से भी मंत्री बनाए गए हैं। ये बताता है कि सरकार का केरल और पंजाब पर फोकस है, और हो भी क्यों न पहली बार केरल में कमल खिला है। वहीं पंजाब में बीजेपी का वोट शेयर 9 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया।
मोदी सरकार 3.0 में सामाजिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखा गया। प्रधानमंत्री के बाद सबसे पहले राजनाथ सिंह ने फिर अमित शाह, फिर नितिन गडकरी और फिर जेपी नड्डा ने शपथ ली। नड्डा के बाद शिवराज सिंह चौहान, फिर निर्मला सीतारमण, फिर एस जयशंकर और उनके बाद मनोहर लाल खट्टर ने शपथ ली। सहयोगी दलों में से सबसे पहले जेडीएस के एचडी कुमार स्वामी ने शपथ ली। एनडीए सरकार में जिन 71 मंत्रियों ने शपथ ली उनमें 27 ओबीसी, 10 एससी, 5 एसटी और 5 माइनॉरिटी से हैं। हालांकि कोई भी मुस्लिम मंत्री नहीं बना है। मोदी सरकार 3.0 में महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहेगा। कैबिनेट मंत्री के तौर पर 2 महिलाओं को शामिल किया गया है। इसमें झारखंड से सांसद अन्नपूर्णा देवी और राज्यसभा सांसद निर्मला सीतारण शामिल हैं। वहीं राज्य मंत्री में 4 महिलाएं हैं। इसमें अपना दल की अनुप्रिया पटेल, बीजेपी की शोभा करंदलाजे, रक्षा खडसे और सावित्री ठाकुर, नीमूबेन बंभानिया शामिल हैं।
मोदी सरकार 3.0 के मंत्रिमंडल ने ये संदेश दिया है कि सरकार पर गठबंधन की कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं है। मोदी के 71 मंत्रियों में से 60 से ज्यादा बीजेपी के ही हैं। इसके अलावा सरकार के टॉप-4 मंत्रिमंडल भी बीजेपी को ही मिलने के आसार हैं। एनसीपी को सरकार की ओर से एक मंत्री पद की पेशकश की गई, लेकिन एनसीपी के भीतर भी खींचतान के चलते इसका फैसला नहीं हो पाया। बीजेपी ने भी इस पर बहुत फोकस नहीं किया। यही हाल जेडीयू और टीडीपी का दिखा। भले ही खबरों में आया कि गठबंधन को बड़े मंत्री पद देने होंगे, लेकिन ऐसा नहीं दिखा।
मोदी सरकार 3.0 में कई आजमाए नामों पर ही भरोसा रखा गया है। पहले ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि अपने तीसरे टर्म में नरेंद्र मोदी पूरी तरह नई टीम बना सकते हैं। सरकार के स्तर पर नई टीम दे सकते हैं। मगर, 71 मंत्रियों के शपथ में राजनीतिक मजबूरी दिखी। 10 वर्षों के शासन में मात्र 14 ऐसे मंत्री रहे जो पीएम मोदी के तीनों कार्यकाल में मंत्री बने रहे। जो नाम तीनों टर्म में कॉमन रहे वे हैं- राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, जितेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, मनसुख मांडविया, किरेन रिजिजू, सर्वानंद सोनेवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, अनुप्रिया पटेल, हरदीप पुरी और धर्मेंद्र प्रधान। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि BJP के अंदर क्या मंत्रियों को उनके पुराने मंत्रालय ही रिपीट होंगे।
नई सरकार में पीएम मोदी ने कुछ ऐसे मंत्रियों को भी शामिल किया है, जो लोकसभा चुनाव हार गए थे। सबसे हैरतअंगेज रहे नामों में पंजाब के लुधियाना से BJP उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू और तमिलनाडु के नीलगिरी के उम्मीदवार एल. मुरुगन माने जा रहे हैं। पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़कर BJP का दामन थामा था। वहीं मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे एल. मुरुगन DMK के ए. राजा से हारे थे। मोदी ने इन दोनों को मंत्रिमंडल में जगह देकर पंजाब और साउथ के राज्यों को संदेश दिया है। माना जा रहा है कि BJP ने भावी राजनीति को ध्यान में रखते हुए हारने के बावजूद पंजाब में एक जट सिख चेहरे पर दांव लगाया है, ये कदम बीजेपी को पंजाब में फायदा दिला सकता है।
अब तक केंद्रीय मंत्री रहे अनुराग ठाकुर, स्मृति इरानी, अर्जुन मुंडा, महेंद्र नाथ पांडे, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रूपाला, आरके सिंह को इस बार जगह नहीं मिला। अनुराग ठाकुर हिमाचल से, नारायण राणे महाराष्ट्र से और पुरुषोत्तम रूपाला गुजरात से चुनाव जीते हैं। चुनाव के दौरान रुपाला के एक बयान को लेकर खासा विवाद हुआ था और राजपूत संगठनों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। स्मृति इरानी ने जहां 2019 में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को अमेठी से हराया था, वहीं इस बार वह अमेठी से चुनाव हार गई हैं। अर्जुन मुंडा, महेंद्र नाथ पांडे और आरके सिंह भी चुनाव नहीं जीत पाए। पिछली सरकार में राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को भी सरकार में जगह नहीं मिली। उन्होंने केरल से कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन करीबी मुकाबले में हार गए।
मोदी सरकार 3.0 की औसत उम्र 59 साल है। पिछली बार यह औसत उम्र 61 साल थी, हालांकि 2021 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में यह घटकर 58 साल रह गई थी। इस बार सबसे उम्रदराज मंत्रियों में 79 साल के जीतनराम मांझी हैं तो वहीं सबसे कमउम्र के टीडीपी के 36 वर्षीय के राममोहन नायडू और बीजेपी की 37 वर्षीया रक्षा खड़से हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को मिलाकर उनकी सरकार में लगभग एक दर्जन चेहरे 70 साल या उससे ज्यादा के हैं।
मोदी सरकार में इस बार युवा और महिलाओं का एक संतुलन दिखा। हालांकि महिलाओं को ज्यादा भागीदारी नहीं मिली पाई। उनमें तकरीबन 15 चेहरे 50 साल या उससे कमउम्र के हैं। युवा चेहरों में के राममोहन नायडू, रवनीत सिंह बिट्टू, साबित्री ठाकुर, शांतनु ठाकुर, एल. मुरुगन, कमलेश पासवान, रक्षा खड़से, सतीश दुबे, राजभूषण चौधरी निषाद, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, चंद्रशेखर पेम्मासामी, चिराग पासवान, मनसुख मांडविया शामिल हैं। उनमें से अधिकांश चेहरे जमीन से जुड़े और अपने मेहनत व संघर्ष से यहां तक पहुंचे हैं। सरकार में करीब छह महिलाएं जगह बना सकीं, जो कुल मंत्रियों का 10 फीसदी भी नहीं हैं। उनमें से निर्मला सीतारमण, शोभा करंदलाजे, अनुप्रिया पटेल को फिर मौका मिला है। पहली बार सरकार में मंत्री बनने वालों में तीन बार की सांसद रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर और अन्नपूर्णा देवी प्रमुख हैं।
केरल में बीजेपी ने पहली बार लोकसभा की कोई सीट जीती है। त्रिशूर से सुरेश गोपी जीते और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। केरल से एल मुरुगन को भी मंत्री बनाया गया है। केरल से दो-दो मंत्री बनाकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उसका केरल पर पूरा फोकस है। इसके अलावा दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों को भी मोदी सरकार 3.0 में शामिल किया गया है। एनडीए संसदीय दल की मीटिंग में मोदी ने कहा कि दक्षिण भारत में एनडीए ने अपनी जमीन मजबूत की है। मंत्रिमंडल बंटवारे में भी इसका ध्यान रखा गया है। आंध्र प्रदेश से 1, कर्नाटक से 3, तमिलनाडु से निर्मला सीतारमण, एल मुरुगन, को मंत्री बनाया गया है। तेलंगाना ने दो मंत्री बनाए गए हैं, जी किशन रेड्डी और बंदी संजय। बंदी संजय पहले तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन उन्हें बदलकर राष्ट्रीय टीम में लाया गया।
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नामचीन उद्योगपति, फिल्मी सितारे और दूसरे मशहूर लोग शामिल हुए। साथ ही सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य से जुड़े रहे कामगारों, सफाई कर्मचारियों, पिछली मोदी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों और वाराणसी से मोदी के चुनाव प्रस्तावकों ने भी इस ऐतिहासिक अवसर की शोभा बढ़ाई। मोदी सफेद कुर्ते, चूड़ीदार पायजामे और नीले रंग की जैकेट में शपथ ग्रहण समारोह में आए। 2014 में पहली बार पीएम पद की शपथ लेते समय मोदी ने क्रीम कलर का लिनेन कुर्ता-पायजामा और बेज गोल्डन कलर की जैकेट पहनी थी। 2019 में भी मोदी ने ऐसी ही ड्रेस में शपथ ली थी।
शपथ ग्रहण समारोह में सेंट्रल विस्टा रीडिवेलपमेंट प्रोजेक्ट के 90 कामगारों के अलावा एमसीडी और कुछ सरकारी अस्पतालों के 30 सफाई कर्मचारी भी उपस्थित थे। वाराणसी से मोदी के चुनाव प्रस्तावकों के अलावा समारोह में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से 50 लोगों की विशेष उपस्थिति रही, जिन्हें न्योता दिया गया था। साथ ही, ‘मन की बात’ कार्यक्रम में शामिल रहे कुछ लोगों के साथ विकसित भारत और नमो ऐप से जुड़े लोग भी समारोह में बुलाए गए थे। उनके अलावा कई BJP समर्थक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर भी मौजूद थे।