नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी होगी 2024 की लड़ाई, अमित शाह ने नांदेड़ में चला डबल दांव; समझें कैसे

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह ने शनिवार को 2024 के लोकसभा चुनाव की सियासी लकीर खींचते हुए घोषणा की कि अगला आम चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी के बीच होगा। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच किसी एक को देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में चुनना होगा। शाह ने गुरु गोबिंद सिंह को नमन करते हुए महाराष्ट्र के नांदेड़ से चुनावी अभियान की शुरुआत की और कहा कि उनकी पार्टी “हर कीमत पर राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा” करेगी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने तख्त श्री हजूर साहिब में मत्था टेका। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने जहां दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया है, वहीं राहुल गांधी विदेशी धरती पर देश का अपमान करने में व्यस्त हैं।

शाह ने मोदी सरकार के नौ साल की उपलब्धियों का बखान करने वाली अपनी रैली के दौरान कहा, “विदेशी सम्मेलनों में एक देश का नेता जहां नरेंद्र मोदी को “बॉस” कहता है, तो दूसरा उनका ऑटोग्राफ चाहता है… लेकिन दूसरी ओर, राहुल विदेशी धरती पर घरेलू राजनीति नहीं करने की वर्षों पुरानी परंपरा को तोड़ रहे हैं।” केंद्रीय गृह मंत्री ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को गिनाते हुए, कांग्रेस पर तंज कसा और कहा, “नेहरू-गांधी परिवार की चार पीढ़ियों ने भारत पर शासन किया – पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और फिर सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह लेकिन कांग्रेस लोगों को शौचालय, आवास, बिजली, मुफ्त राशन, गैस कनेक्शन नहीं दे पाई। वे लोग क्या कर रहे थे? आजादी के बाद के भारत में गरीबों की परवाह करने वाले एकमात्र पीएम नरेंद्र मोदी हैं।”

शाह ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 45 जीतने के भाजपा के लक्ष्य की घोषणा करते हुए पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे को “पाखण्डी” कहा। शाह ने कहा, “2019 के महाराष्ट्र चुनावों की पूर्व संध्या पर, मैंने और देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत की थी, जो इस बात पर सहमत थे कि अगर भाजपा को बड़ा जनादेश मिला तो फडणवीस सीएम बनेंगे। जब ऐसा हुआ तो वह मुकर गए और मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया।” शाह ने उद्धव ठाकरे को राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और कर्नाटक सरकार द्वारा वीर सावरकर को इतिहास की किताबों से हटाने पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी।

शाह ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर भी हमला बोला लेकिन सधे अंदाज में उन्हें “सबसे भ्रष्ट यूपीए शासन का हिस्सेदार” भर ठहराया। शाह ने पवार पर आर्टिकल 370 को निरस्त करने का विरोध करने का भी आरोप लगाया और कहा, “राहुल और पवार कहते थे कि आर्टिकल 370 निरस्त करने से घाटी में खून खराबा होगा। खून तो क्या, पत्थर मारने की भी हिम्मत आज किसी में नहीं है।

दरअसल, सिखों के पवित्र स्थान पर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का दावेदार बताकर अमित शाह ने डबल दांव चला है। एक तरफ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के सामने उन्हें कम कद्दावर नेता साबित करने की कोशिश की और गांधी परिवार के बहाने सिख दंगों के जख्मों को खुरेचकर कांग्रेस के खिलाफ हवा बनाने की कोशिश की है, वहीं दूसरी तरफ राहुल को पीएम उम्मीदवार बताकर विपक्षी गठजोड़ की जड़ में मट्ठा डालने की कोशिश की है, ताकि विपक्षी एकता गठबंधन के रूप में साकार नहीं हो सके। महाराष्ट्र में अगले साल लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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