राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस आज, साल 2006 में पहली बार किया गया था आयोजन, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

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नई दिल्ली : देश में हर साल 21 अप्रैल को यानि आज के दिन को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस (National Civil Services Day) के तौर पर मनाया जाता है। यह हर किसी की जिंदगी में काफी महत्व भी रखता है क्योंकि यह सरकारी कर्मचारियों को पहचानने और प्रेरित करने के लिए समर्पित है। यह सिविल सेवा अधिकारियों के प्रयासों और योगदान की सराहना करने के लिए एक दिन के रूप में कार्य करता है जो राष्ट्र की सेवा के लिए अथक परिश्रम करते हैं।

इतना ही नहीं बल्कि यह सिविल सेवकों के लिए खुद को नागरिकों के लिए समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा और कार्य में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक अवसर है। इस तरह का पहला समारोह ’21 अप्रैल 2006′ को विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था। देश के पहले गृह मंत्री, जिन्हें भारत के लौह पुरुष के रूप में भी जाना जाता है, सरदार वल्लभ भाई पटेल नागरिक सेवाओं को राष्ट्र निर्माण के एक आवश्यक घटक के रूप में मानते थे। 1947 में मेटकाफ हाउस, दिल्ली में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा प्रशिक्षण स्कूल में परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने पहली बार सिविल सेवकों/सेवाओं को “भारत का स्टील फ्रेम” कहा था।

बता दें कि इस साल राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2023 का थीम (National Civil Services Day Theme 2023) काफी महत्त्व रखता हैं। क्योंकि इस साल की थीम “विकसित भारत” रखा गया है। जैसा की सिविल सेवकों से सतत राष्ट्र-निर्माता होने की उम्मीद की जाती है। सेवा और प्रशासन से जुड़ी सभी गतिविधियां उनके लिए हर दिन समान रूप से महत्वपूर्ण होती हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) शुक्रवार को लोक सेवा दिवस के अवसर पर अधिकारियों को संबोधित करेंगे। इस साल चिह्नित प्राथमिकता कार्यक्रमों में किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए पुरस्कार दिए जाएंगे। इनमें हर घर जल योजना के माध्यम से स्वच्छ जल को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों के माध्यम से स्वस्थ भारत को बढ़ावा देना भी शामिल है।

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