Chaitra Navratri 2022: नवरात्र का पहला दिन आज है और इस दिन घटस्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन, अर्चन किया जाता है ! शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से बुलाया जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में बी समझा जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण है। मां शैलपुत्री का पूजन और स्तवन निम्न मंत्र से किया जाता है।
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनी*
अर्थात मैं मनोवांछित लाभ के लिये अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर सवार रहने वाली, शूलधारिणी और यशस्विनी मां शैलपुत्री का ध्यान करता हूं !
अगर आपने लंबे समय से कर्ज में हैं और तमाम कोशिशों के बाद भी कर्ज नहीं उतर रहा है ! तो आपको नवरात्र में इस मंत्र से जाप करना चाहिए
या देवि! सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
रिपोर्ट- शिवी अग्रवाल