बीजिंग: भारत और चीन के बीच तनाव कोई नया नहीं है। हालांकि 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद तनाव और बढ़ गया था। अब याग्त्से इलाके में भी चीन की सेना ने पहले की ही तरह हरकत की है। एक तरफ बातचीत करके शांति बहाल की कोशिश का ढोंग और दूसरी तरफ अपनी विस्तारवादी मंसा। चीन इन दोनों बातों को साथ लेकर धोखेबाजी की मिसाल पेश कर रहा है। दरअसल एलएसी पर कई जगहों पर भारत और चीन का अपना-अपना नरिया है इसलिए पहले भी झड़पें होती रही हैं। हालांकि हर बार कुछ ऐसा ही हुआ कि चीन ने धोखे से हमला किया औऱ इसके बाद भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
गलवान हिंसा
पूर्वी लद्दाख में इसी तरह झड़प हुई थी। चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया था। हालांकि बहादुर भारतीय जवानों ने उन्हें जवाब देने में कसर नहीं छोड़ी और कई चीनी सैनिक भी मारे गए। चीन में कांग्रेस सम्मेलन के दौरान भी इस घटना की वीडियो क्लिप दिखाई गई थी और मारे गए चीनी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई थी। अप्रैल-मई 2020 से ही पूर्वी लद्दाख में तनाव शुरू हुआ जो कि अब तक बरकरार है। यहां दोनों ही देशों ने उन्नत हथियार औऱ बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर रखेहैं। इसी तरह पैंगोंग लेक के उत्तर की ओर जब चीनी सैनिक आए तो भारतीय सैनिकों ने दक्षिण की तरफ पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। कुल मिलाकर चीन के हर प्रयास का मुंहतोड़ जवाब सेना देती है। सेना प्रमुख कई बार कह चुके हैं कि भारतीय सेना हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैनात है। गलवान में हुए खूनी संघर्ष में भी भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। वहीं एक अमेरिकी रिपोर्ट में गया गया था कि चीन ने 40 सैनिक गंवाए थे।
नाथुला में खूनी झड़प
नाथुला में हुई खूनी झड़प में चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस खूनी संघर्ष में चीन के कम से कम 300 सैनिक मारे गए थे वहीं भारत के भी 88 सैनिक शहीद हो गए थे। यहां भी विवाद सीमा को लेकर ही था। चीन और भारत दोनों ही एलएसी अपने हिसाब से मानते हैं। विवाद हुआ था सीमा पर तीन लेयर की तार लगाने को लेकर। जब भारत ने काम शुरू किया तो चीनी सैनिक राइफल लेकर पहुंच गए। इसके बाद हाथापाई शुरू हो गई। चीनी सैनिकों की गोली से भारत के लेफ्टिनेंट कर्नल घायल हो गए थे। इसके बाद भारत ने भी चीन की पोस्ट को तबाह कर दिया। इसके बाद चीन भारत को धमकी देता रहा। हालांकि भारत भी अपने रुख पर अड़ा रहा।
बता दें कि चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश करता है। तवांग की घटना 17 हजार फीट की ऊंचाई और ठंडे इलाके में हुई। चीन और भारत के बीच सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश औऱ लद्दाख में इसी तरह का तनाव है। चीन लगातार भारत के साथ हुए समझौतों का विरोध करता है। वहीं जब भारत एलएसी पर निर्माण कार्य करता है तो वह परेशान हो जाता है और आपत्ति करने लगता है। यहां तक कि उत्तराखंड के औली में भारत औऱ अमेरिकी सेना के बीच हो रहे युद्धाभ्यास से भी उसे परेशानी ही गई। गलवान में पुल निर्माण को लेकर ही झड़प हुई थी। भारतीय सैनिक पुल निर्माण करवारहे थे तभी चीन के सैनिक इसका विरोध करने लगे। इसके बाद चीन ने अचानक हमला कर दिया। फिर भारत ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।
दरअसल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर भारत और चीन का अपना-अपना मानना है। चीन का कहना है कि एलएसी फिंगर 2 से होकर जाती है। वहीं भारत का कहना है कि यह सीमा रेखा फिंगर 8 से गुजरती है। ऐसे में कईइलाके ग्रे जोन में हैं जिनपर भारत औऱ चीन दोनों ही दावा ठोकते हैं। चीन अपनी आदत के मुताबिक धोखेबाजी से भारतीय इलाके को कब्जा करने की कोशिश करता है। ऐसे में भारतीय सैनिक विरोध करते हैं और झड़प हो जाती है।