Nepal Economic Crisis: श्रीलंका कि तरह नेपाल भी कंगाली कि राह पर

0 276

पड़ोसी देश श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) से जूझ रहा है. अब एक और पड़ोसी देश नेपाल में भी आर्थिक संकट (Nepal Economic Crisis) का खतरा पैदा हो गया है और इस कारण कयास लगने लगे हैं कि कहीं इस देश का भी हाल श्रीलंका जैसा न हो जाए. यह नेपाल में राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है और विपक्ष लगातार कह रहा है कि श्रीलंका जैसे हालात पैदा होने वाले हैं. हालांकि अर्थशास्त्रियों की राय इससे अलग है. एक्सपर्ट मानते हैं कि नेपाल की स्थिति श्रीलंका से काफी अलग है.

ऐसा नहीं कि नेपाल में ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात अचानक पैदा हो गए. आँकड़ों के अनुसार, 16 जुलाई से शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) के प्रारंभ से ही देश के कई आर्थिक संकेतकों में गिरावट आनी शुरू हो गई थी.

कोरोना महामारी और यूक्रेन संकट के दौर में उच्च महंगाई दर आम लोगों को बहुत परेशान कर रही है. उधर देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी की देखने को मिल रही है.मौजूदा वित्त वर्ष के बीते आठ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में क़रीब 17 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है.

मार्च 2022 के मध्य में देश का विदेशी मुद्रा भंडार महज़ 975 करोड़ डॉलर यानी 1.17 लाख करोड़ नेपाली रुपए (तब एक डॉलर क़रीब 121 नेपाली रुपए के बराबर था​) रह गया. हालांकि पिछले साल जुलाई के मध्य में यह भंडार 1,175 करोड़ डॉलर यानी 1.4 लाख करोड़ नेपाली रुपए का था.

विदेशों से सामान आयात करने के लिए किसी देश को विदेशी मुद्रा की ज़रूरत होती है. (Nepal Economic Crisis) नेपाल का जो मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार है, उससे अगले 6.7 महीने तक विदेशी वस्तुओं का आयात आराम से हो सकता है.

पारं​परिक तौर पर माना जाता है कि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम से कम 7 महीने के आयात के लिए पर्याप्त होना चाहिए.

इसका मतलब ये हुआ कि पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार उस अहम और रणनीतिक स्तर के नीचे चला गया है. जानकारों के मुताबिक़, नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की ये एक बड़ी वज़ह है.

उधर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन पर हमले के चलते पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते दामों को देखते हुए विदेशी मुद्रा भंडार के अभी और कम होने की आशंका है.

पिछले दो सालों के दौरान कोरोना महामारी और अब बढ़ते आयात ख़र्च के चलते नेपाल का व्यापार घाटा बढ़कर 1.29 लाख करोड़ नेपाली रुपए तक जा पहुँचा है. नेपाली अर्थव्यवस्था के लिए यह भी चिंता की बात है.

नेपाल में विदेशी मुद्रा भंडार में इस गिरावट के कारण हैं-(Nepal Economic Crisis) 

कोविड-19 महामारी
विदेशी प्रेषण में गिरावट
रूस-यूक्रेन युद्ध
आंतरिक मुद्रास्फीति दबाव

पर्यटन क्षेत्र देश के लिए प्रमुख कमाई करने वालों में से एक रहा है। कोविड -19 के कारण नेपाल में प्रमुख देशों विशेषकर भारत से पर्यटकों के आगमन में गिरावट देखी गई है। 2021 में इसमें करीब 35 फीसदी की गिरावट आई है। इससे देश की जीडीपी पर असर पड़ा है।

बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए नेपाल से बाहर रहने वाले नेपाली देश में प्रेषण वापस भेजते हैं। महामारी के परिणामस्वरूप उनकी नौकरियों का नुकसान हुआ जिसके कारण विदेशी प्रेषण में गिरावट आई। इन प्रेषणों ने नेपाल की जीडीपी को फलने-फूलने में मदद की

रूस-यूक्रेन युद्ध ने सीएनजी गैस, पेट्रोलियम, सूरजमुखी तेल आदि सहित ईंधन की कीमतों में वृद्धि की। इसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी बाधित किया है। नेपाल अपनी ईंधन आवश्यकता के लिए भारत पर निर्भर है। भारत को ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का भी सामना करना पड़ रहा है जिसका असर नेपाल पर पड़ा है।

नेपाल में आंतरिक स्थिति भी ठीक नहीं है। सेंट्रल बैंक ऑफ नेपाल ने कहा कि मुद्रास्फीति 7.1% है जो बहुत अधिक है। आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की संभावना है।

नेपाल अपने आयात व्यय को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार पर भी निर्भर रहा है। के.पी. के पतन के कारण इसमें भी गिरावट देखी गई है। जुलाई 2021 में शर्मा ओली की सरकार। तब से, आयात और निर्यात के बीच संतुलन पटरी से उतर गया है। आयात में वृद्धि हुई है जबकि पर्यटन और निर्यात से आय में गिरावट आई है।

 

यह भी पढ़े : Loudspeaker : मंदिर हो या मस्जिद हर जगह नियम समान , मंदिरो से हट रहे है लाउडस्पीकर

रिपोर्ट – रुपाली सिंह

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.