नई दिल्ली : निपह वायरस के चलते कोझिकोड जिले में 24 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का फैसला किया गया है. निपह वायरस के चलते कोझिकोड जिले में 24 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का फैसला किया गया है।
देश में कोरोना वायरस के बाद निपाह वायरस की एंट्री ने हर किसी को सकते में डाल दिया है. केरल में निपाह वायरस के मामले मिलने के साथ ही मेडिकल संस्थानों ने चेतावनी जारी करना शुरू कर दिया है. इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बताया है कि निपाह वायरस, कोराना से कहीं ज्यादा खतरनाक है. निपाह से संक्रमण में मृत्यु दर 40-70 फीसदी है, जबकि कोरोना में 2 से 3 फीसदी है. यह कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु दर के मुकाबले काफी ज्यादा है. केरल में फिलहाल निपाह वायरस के 6 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 2 लोगों की मौत हो चुकी है. कोझिकोड जिले में 24 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का फैसला किया गया है।
आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा कि केरल में निपाह वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी प्रयास जारी हैं. उन्होंने कहा, ‘सभी मरीज एक संक्रमित मरीज के संपर्क में हैं. विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों वाली एक केंद्रीय टीम भी स्थिति का आकलन करने और उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए कोझिकोड जिले में पहुंच गई है. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के तहत 1000 से अधिक लोगों का पता लगाया गया है.’ आईसीएमआर अधिकारी ने निपाह वायरस की रोकथाम और प्रसार के खिलाफ उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होंने बार-बार हाथ धोने और फेस मास्क पहनने को कहा. राजीव बहल ने कहा, ‘4-5 उपाय हैं, उनमें से कुछ बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे कि COVID के खिलाफ उठाए गए हैं. जैसे कि बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना. निपाह वायरस के फैलने का सबसे मुख्य कारण है संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना और उसके बाद अन्य लोगों का दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आना, जो संक्रमित से मिल चुका है. इससे बचने के लिए अलगाव बहुत जरूरी है. आइसोलेशन भी बचाव का एक तरीका है. लक्षण दिखने पर व्यक्ति खुद को अलग कर ले और तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करे।
नई दिल्ली में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए, आईसीएमआर के डीजी राजीव बहल ने कहा कि भारत निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदेगा. यह वायरस संक्रमित फल, चमगादड़ों के माध्यम से लोगों और सूअरों जैसे अन्य जानवरों में फैल सकता है. यदि लोग किसी संक्रमित जानवर या उसके शरीर के तरल पदार्थ, जैसे लार या मूत्र, के निकट संपर्क में आते हैं तो वे संक्रमित हो सकते हैं. एक बार जब यह लोगों में फैल जाता है, तो यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।