Noida Twin Tower:गिरेगी भ्रष्टाचार की इमारत, नोएडा ट्विन टावर ध्वस्तीकरण
सुपरटेक ट्विन टावर नोएडा में बनी बड़ी इमारतों में से एक है इस इमारत की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक है। इस टावर का निर्माण 2009 में शुरू किया गया था। ये 40 मंजिला टावर (एपेक्स और सेयेन) नोएडा के सेक्टर 93 ए में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के पास स्थित है। इन दोनों टावरों में लगभग 900 से ज्यादा फ्लैट हैं और इस एरिया में लगभग 5,000 से अधिक निवासी रहते हैं। दोनों टावर एक साथ लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस टावर को ध्वस्त किया जाएगा। कोर्ट ने बताया कि सुपर टेक ने नियमों का उल्लंघन करके इस इमारत को बनाया था। एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पहले एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि निर्माण यूपी अपार्टमेंट अधिनियम 2010 का उल्लंघन करता है। उनके निर्माण ने न्यूनतम दूरी की आवश्यकता का उल्लंघन किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को गिराने का आदेश दिया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि यूपी अपार्टमेंट अधिनियम के तहत आवश्यक व्यक्तिगत फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना उन्हें अवैध रूप से बनाया गया था।
क्यों गिराई जाएगी ऊंची इमारत
सुप्रीम कोर्ट केआदेश के बाद इन टावरों को गिराने की कार्रवाई की जा रही है। दरअसल इन टावरों का निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था। बता दें, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे। इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे, जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था। हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया।
कैसे 12 सेकेंड में ध्वस्त होगी 32 मंजिला इमारत
नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को गिराया जाएगा। इस इमारत को गिराने में लगभग 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगेगा। ये टावर भारत की अब तक की गिराने वाली सबसे ऊंची इमारतें बन जाएगी। टावर को गिराने के लिए लगभग-लगभग तैयारी कर ली गई है। ट्विन टावर को गिराने से कुछ समय पहले एक्सप्रेस-वे को भी बंद कर दिया जाएगा। साथ ही आसपास की बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को भी अपना घर खाली करने का आदेश दे दिया गया है। वहीं किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए फायर ब्रिगेड, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और मेडिकल टीम मौके पर मौजूद रहेगी। बता दें, ट्विन टावर को जिस तकनीक से गिराया जा रहा है उसे इमप्लोइसन (Implosion) कहा जाता है। इस तकनीक से टावर गिराने पर बिल्डिंग का मलबा वहीं गिरेगा जितने क्षेत्र में टावर बना है।
क्या इमारत गिरने से पड़ेगा पर्यावरण पर कोई प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि ध्वस्त से धूल के बादल आसमान में बन जाएंगे। इसके अलावा आस-पास के रहने वालें लोग कई बिमारियों के चपेट में आ सकते हैं। जैसे आंखों में जलन, नाक, मुंह और श्वसन प्रणाली से लेकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं”। इस ध्वस्त के कारण कई दिनों तक हवाओं में धुल और कण मिले रहेंगे। हालांकि इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि हम ध्वस्त के समय एसओपी का प्रयोग करेंगे। जो भी पर्यावरण को बचाने के लिए कार्य होंगे उसका हम पालने करेंगे।
कितना आएगा खर्च
इस टावर को गिराने में 17.55 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। 3700 किलो विस्फोटक लगाकर इस टावर को गिराया जाएगा। यह सारा खर्च सुपरटेक द्वारा उठाया जाएगा।
क्या खरीदारों को पैसा मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले अधिकारियों को बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ घर खरीदारों की पूरी राशि वापस करने का निर्देश दिया था। इसने यह भी कहा कि एमराल्ड कोर्ट परियोजना के आरडब्ल्यूए को ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुए उत्पीड़न के लिए 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए। अदालत के आदेश के अनुसार, सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले निवेशक और घर खरीदार 17 जनवरी, 2022 तक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अपना पैसा वापस पाने के पात्र थे।
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