पैरा बैडमिंटन में नोएडा के डीएम सुहास एलवाई फिर से गाड़े झंडे, स्पेन में जीता ब्रॉन्ज मेडल

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के नोएडा के डीएम सुहास एलवाई (Noida DM Suhas LY) ने पैरा बैडमिंटन में एक बार फिर से झंडे गाड़े हैं। डीएम सुहास एलवाई ने स्पेनिश पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतिवान को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था। उनके जिले में लौटने पर जोरदार स्वागत की तैयारी खेल प्रेमियों और अन्य लोगों द्वारा की जा रही है।

सेमीफाइनल में सुहास एलवाई को विश्व के दूसरे नंबर के पैरा शटलर सुकांत कदम ने 14-21, 21-13, 21-19 से हराया। सुहास ने पहले सेट में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को 21-14 से मात दी, लेकिन दूसरे सेट में वह ज्यादा देर नहीं टिक पाए। तीसरे सेट में दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर हुई, जिसमें सुहास एलवाई हार गए। उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इससे पहले सुहास एलवाई ने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतिवान को रोमांचक मुकाबले में 21-13, 18-21, 21-16 से मात दी। 51 मिनट तक चले इस मुकाबले में दोनों खिलाड़ियों के बीच जोरदार मुकाबला हुआ।

नंबर के खिलाड़ी चाइनीज ताइपे के वाई ई चुआन को 21-10, 21-14 से हराया, जबकि सुहास की एसएल चार कैटेगरी के एकल वर्ग में 39 रैंकिंग हैं। दूसरे मुकाबले में उन्होंने स्वीडन के आर निल्सन को 21-14, 21-12 से आसानी से हराया। इसकी एकल वर्ग की रैंकिंग पांच है। प्री क्वार्टर फाइनल में भी सुहास ने एकतरफा जीत हासिल की। उन्होंने विश्व के चौथे नंबर के खिलाड़ी जर्मनी के मर्सल एडम को 21-10, 22-20 से हराया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने विश्व के छठे नंबर के खिलाड़ी इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतिवान को 21-13, 18-21, 21-16 से हराया। यह मुकाबला 51 मिनट तक चला। इससे पहले सुहास ने तीनों मुकाबले 35 मिनट से कम समय में जीत दर्ज की।

जिलाधिकारी जैसे पद की अहम जिम्मेदारी होने के बावजूद सुहास बैडमिंटन के लिए समय निकाल लेते हैं। वह कहते हैं कि दुनिया में लोगों के पास 24 घंटे ही हैं। इनमें कई सारे काम कर लेते हैं और कुछ कहते हैं कि उनके पास समय नहीं है। किसी चीज के प्रति दीवानापन है तो उसे करने में तकलीफ नहीं होती। इसी तरह बैडमिंटन उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है। काम के साथ तीन घंटे की मेडीटेशन की बात को बड़ा नहीं माना जाएगा, लेकिन काम के साथ तीन घंटे बैडमिंटन खेलना लोगों को बड़ा लगेगा। बैडमिंटन उनके लिए मेडीटेशन है। जब वह खेलते हैं तो आध्यात्म का अनुभव करते हैं जिसमें किस तरह एक-एक प्वाइंट के लिए डूबना होता है। अगर किसी चीज को करने की चाहत है तो सामंजस्य बिठाया जा सकता है।

सुहास के मुताबिक उनके लिए पैरा खिलाड़ियों के महाकुंभ में देश का प्रतिनिधित्व करना गर्व और गौरव की बात है।

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