नई दिल्ली : संसद का मॉनसून सत्र समाप्त होने के बाद भाजपा नेता अब चुनाव (Election) वाले राज्यों की राह पकड़ने जा रहे हैं। 17 अगस्त के बाद अगले दो महीने तक पार्टी और सरकार के सभी बड़े नेता इन राज्यों का व्यापक दौरा कर केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाएंगे। साथ ही विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ संवाद भी करेंगे। जगह-जगह पर लाभार्थी सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे।
देश की राजनीति अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी बड़े नेता लगातार विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उनकी टीम के सभी पदाधिकारी भी मिशन मोड में चुनावी रणनीति के अनुसार दौरे कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव वाले पांच राज्यों का दौरा करने को कहा गया है, लेकिन चार राज्यों पर ज्यादा फोकस रहेगा।
इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल है। मिजोरम छोटा राज्य होने के कारण वहां पर बहुत ज्यादा मेहनत नहीं की जाएगी। इसकी एक वजह वहां भाजपा की बजाय उसकी सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट का सत्ता में होना भी है।
सूत्रों के अनुसार अगले सप्ताह राज्यों की चुनावी टीम के साथ केंद्रीय मंत्रियों और केंद्रीय पदाधिकारियों की राज्यों को लेकर अलग-अलग बैठकें होंगी। इनमें विभिन्न दौरों को लेकर कार्यक्रम तय होंगे। केंद्रीय मंत्री सरकारी कार्यक्रमों के संबंध में इन राज्यों का दौरा करेंगे। साथ ही जिन स्थानों का वह सरकारी दौरा करेंगे, वहां पार्टी भी अलग से कार्यक्रम आयोजित करेगी ताकि कार्यकर्ताओं से लेकर जनता के साथ भी राजनीतिक संवाद किया जा सके। अभियान में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सरकार के कई मंत्री और पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दो महीने में इन चारों राज्यों में कम से कम दो-दो दौरे करेंगे। इनकी संख्या बढ़ भी सकती है। नवंबर में चुनाव प्रचार अभियान शुरू हो जाएगा। भाजपा के लिए यह विधानसभा चुनाव इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके ठीक बाद लोकसभा चुनाव होंगे। पार्टी की इन राज्यों में दोहरी रणनीति रहेगी। वैसे लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी ने देश भर में अभियान शुरू किया है लेकिन उसके पहले विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेताओं को इन सूबों में भी लगाया जाएगा ताकि कहीं कोई कमी न रह जाए।
मध्य प्रदेश पर पार्टी का ज्यादा ध्यान है क्योंकि वहां सत्ता विरोधी माहौल भी संभव है। इसके अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी अलग राजनीतिक स्थितियों की वजह से पार्टी की अलग रणनीति के दायरे में हैं।