कानपुर : कानपुर में दो साल पहले बनाया गया मदर मिल्क बैंक प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है। यह बैंक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में बनेगा। इस बैंक के निर्माण के लिए दस लाख रुपये की फंडिंग मिली है। बैंक में वैसे तो कोई भी मां अपना दूध डोनेट कर सकती है लेकिन इसमें उन मांओं को पहली प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके समय से पहले हुआ नवजात नहीं रहा या बीमारी से शिशु की मौत हो गई है। इसमें माताओं का रजिस्ट्रेशन होगा लेकिन उनके नाम-पते को गोपनीय रखा जाएगा।
बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. यशवंत राव ने बताया कि मदर मिल्क बैंक के प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। स्त्री रोग विभाग की प्रो. सीमा द्विवेदी का कहना है कि मदर मिल्क बैंक इसी साल से शुरू करने की तैयारी की गई है। इस योजना से कई नवजातों को फायदा मिलेगा। कई बच्चों को मां के दूध का पोषण नहीं मिल पाता जिससे वो पनपते नहीं हैं। इस योजना के बाद इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
कम वजन और समय पहले जन्मे नवजातों की जिंदगी बचाने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सल फीडिंग प्रोटोकॉल के साथ नया मॉडल बनाएगा। इस प्रोटोकॉल और मॉडल को बनाने के लिए आ रही दिक्कतों का आकलन करने के बाद बनाया जाएगा। एसएनसीयू और एनआईसीयू में नवजातों को उनकी मां के साथ रखने के लिए भी प्रोटोकॉल बनेगा। यह जानकारी मंगलवार को मेडिकल कॉलेज में उप प्राचार्य प्रो. ऋचा गिरि, प्रो. यशवंत राव, प्रो. एके आर्या, प्रो. सीमा द्विवेदी, प्रो. विकास मिश्र के साथ कम्युनिटी इम्पावरमेंट लैब की सीईओ आरती कुमार ने मीडिया को दी।