नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में आज से डिजिटल करेंसी की शुरुआत कर दी है. एक फरवरी को बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने डिजिटल करेंसी जारी करने का ऐलान किया था. आज यानि एक नवंबर से डिजिटल करेंसी होलसेल की शुरुआत हो गई है. इसका इस्तेमाल बड़े वित्तीय संस्थान जैसे बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और बड़े सौदे करने वाले वित्तीय संस्थान कर सकेंगे. रिजर्व बैंक जल्द ही डिजिटल करेंसी रिटेल भी जारी करेगा. रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग कर सकेंगे और उससे रोजमर्रा के लेनदेन किए जा सकेंगे.
रिजर्व बैंक ने अभी देश के 9 बैंकों में डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए अधिकृत किया है. ये बैंक हैं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक.
डिजिटल करेंसी एक ऐसी करेंसी है, जिसे देख या छू नहीं सकते लेकिन यह आम करेंसी की तरह ही काम करेगी. बस यह डिजिटल फॉर्मेट में होगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. डिजिटल करेंसी से लेनदेने, बिल जमा आदि जैसे काम किए जा सकेंगे. इस डिजिटल करेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रखा जा सकेगा. डिजिटल करेंसी को भी सामान्य करेंसी की तरह देश में कानूनी मान्यता प्राप्त होगी.
डिजिटल करेंसी के चलन के बाद जेब में कैश रखने से छूट मिल जाएगी. इसकी वैल्यू भी रुपए के बराबर होगी. इसे मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकेगा और इसे रखने के लिए बैंक अकाउंट भी जरूरत नहीं होगी. डिजिटल करेंसी के बाद नोट छापने की लागत घटेगी और नगद अर्थव्यवस्था घटाने में भी मदद मिलेगी. डिजिटल करेंसी को नोट से भी बदला जा सकेगा. कैश के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित तरीके से डिजिटल करेंसी से खरीददारी की जा सकेगी.
बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन, ईथर आदि एक प्राइवेट वर्चुअल करेंसी हैं, जबकि डिजिटल करेंसी को सरकार से कानूनी मान्यता प्राप्त है और इसमें जोखिम नहीं होता है. क्रिप्टोकरेंसी से मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकियों की आर्थिक मदद जैसे खतरे हैं लेकिन डिजिटल करेंसी में ये खतरा नहीं है. अगर आप यूपीआई से बैंक अकाउंट के बजाय डिजिटल करेंसी में भुगतान करते हैं तो इससे इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं होगी और इसमें पेमेंट्स से लागत भी कम आएगी. दुनिया के 9 देशों में अब तक डिजिटल करेंसी लॉन्च हो चुकी है और दुनिया के कई अन्य देश भी इसे लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं.