अब चांद पर नहीं होगी ऊर्जा की समस्या, नासा बना रहा खास पॉवर प्लांट; मंगल पर भी होगा इसी तकनीक का इस्तेमाल!
नई दिल्ली: अगर आपको भी लगता है कि मंगल पर इंसानों का बसना मुमकिन नहीं है तो आपको यह खबर जरूर पड़नी चाहिए। ऐसा इसलिए कि मंगल और चांद पर रहने का केवल ख्वाब ही नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसकी तैयारी तक हो रही है और अरबों का खर्चा भी हो रहा है। हाल ही में नासा ने पृथ्वी के बाहर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट से बिजली बनाने की योजना का शुरुआती चरण पूरा किया है जिसके बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंगल और चंद्रमा के भावी अभियानों को ऊर्जा देने के लिए बहुत बड़ा कदम है।
फिशन सर्फेस पॉवर प्रोजेक्ट नाम की इस परियोजना का मकसद एक छोटा सा न्यूक्लियर विखंडन रिएक्टर बनाना है जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ऊर्जा पैदा करेगा। यह लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए बहुत अहम है। नासा ने 2022 में अपने व्यवसायी साझेदारों को 50 लाख डॉलर के करार दिए थे, जिसमें हर एक को रिएक्टर की एक छोटे आकार की डिजाइन हो। इससे चंद्रमा और मंगल पर भी लंबी उपस्थिति की दिशा में अहम उपलब्धि की तरह देखा जा रहा है। चंद्रमा पर तो इससे एक दशक तक इंसान रह सकेंगे। चंद्रमा पर खास तौर से सूर्य एक लगातार ऊर्जा देने वाला स्रोत नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उस पर 30 में से 15 दिन ही सूर्य की रोशनी रहती है। वहीं न्यूक्लियर पॉवर अगर नियंत्रित कर ली जाए तो सतत ऊर्जा दे सकती है।
नासा ने कहा था कि रिएक्टर का वजन छह मेट्रिक टन से कम होना चाहिए और वह 40 किलोवाट की बिजली पैदा करने में सक्षम होना चाहिए जो एक दशक तक अपने आप काम कर सके। इसमें सुरक्षा को सबसे अधिक अहमियत दी गई थी। नासा का कहना है कि उसे उम्मीद से ज्यादा बेहतर समाधान मिले हैं। अब अगले चरण में नासा इन सुझावों को अमल में लाए जिसके बाद प्रक्षेपण में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी चरण में रिएक्टर की अंतिम डिजाइन का प्रदर्शन होगा। अंतिम चरण को नासा 2025 में शुरु करना चाहता है जिससे 2030 के दशक के शुरुआत में यह चंद्रमा पर भेजने के लिए तैयार हो जाए। रिएक्टर एक साल तक चंद्रमा पर प्रदर्शन के तौर पर काम करेगा जिसके बाद वह नौ साल तक काम करता रहेगा। सफल होने पर तकनीक को मंगल के लिए अपनाया जाएगा।