ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद कुछ शवों की पहचान को लेकर असमंजस की स्थिति देखने को मिली है. ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 22 साल के राजा के शव के साथ भी कुछ ऐसा हुआ. शव के क्षत-विक्षत होने की वजह से पहचान करने में गलती हुई और शव को बिहार के मोतिहारी के बजाय पश्चिम बंगाल भेज दिया गया. हालांकि, अंत में आधार कार्ड ने पूरा खेल पलट दिया और शव सही हाथों जा सका.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजा ने 2 जून को चेन्नई से चलने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस को पकड़ा था. उसके साथ कुल 10 लोग थे. हादसे में 10 में से 8 लोग बच गए, कुछ को मामूली चोट आई जबकि एक व्यक्ति को तुरंत मृत घोषित कर दिया गया जबकि राजा की कोई खोज खबर नहीं मिली. ट्रेन पकड़ते वक्त राजा ने अपने भाई सुभाष से बात की थी और आने की जानकारी दी थी.
इधर ट्रेन जैसे ही बालासोर में हादसे का शिकार हुई और इसकी खबर परिवार वालों को लगी, भाई सुभाष अपनी मां और कुछ और लोगों को लेकर तत्काल 40 हजार रुपए में निजी गाड़ी की और करीब 800 किमी का सफर कर घटनास्थल पर पहुंच गया. वहां, अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर काटे राजा का कोई पता नहीं चला. जैसे-जैसे समय बीत रहा था परिवार उम्मीदें हार रहा था और पैसे भी खत्म हो रहे थे.
सुभाष बताते हैं कि करीब तीन दिनों तक अलग-अलग अस्पतालों का चक्कर काटने के बाद भी शव नहीं मिला. इसके बाद सभी ने घर लौटने का फैसला किया. घर पहुंचने के बाद सुभाष ने बिहार सरकार की ओर से जारी हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई लेकिन राजा की कोई खबर नहीं मिली. इसके बाद सुभाष कुछ लोगों के साथ एक बार फिर ओडिशा जाने का फैसला किया.
सुभाष इस बार भुवनेश्वर पहुंचा, जहां के एम्स में कई शव रखे गए थे. वहीं, पर शवों की तस्वीर को डिस्पेल में दिखा जा रहा था. इसी वक्त सुभाष की नजर एक शव पर पड़ी जिसके बाएं हाथ पर टैटू बना हुआ था. सुभाष ने जब अस्पताल वालों से संपर्क किया तो पता चला कि वो शव पहले ही परिवार वालों को हैंडओवर कर दिया गया है. जो कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं.
बंगाल से वापस भुवनेश्वर पहुंचा शव
सुभाष को कुछ नहीं समझ आ रहा था तो वो फिर बिहार सरकार की ओर से तैनात अधिकारियों के साथ संपर्क किया. अधिकारियों ने डीएनए टेस्ट करवाने की सलाह दी और रिपोर्ट आने तक इंतजार करने को कहा. डीएनए रिपोर्ट सामने आने से पहले शुक्रवार को राजा का शव भुवनेश्वर लाया गया. भुवनेश्वर लेकर शव पहुंचे लोगों ने कहा कि राजा का आधार कार्ड उसके जेब में मिला. इसके कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए शव को उसके मूल परिवार वालों को सौंप दिया गया.