बीजापुर IED ब्लास्ट में शहीद हुए 8 जवानों में 5 रहे चुके नक्सली, सरेंडर के बाद पुलिस में हुए थे भर्ती

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रायपुर । छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बीजापुर जिले (Bijapur district) के जंगली इलाके कुटरू में नक्सलियों (Naxalites) ने 6 जनवरी को सुरक्षाबलों के एक वाहन को IED ब्लास्ट से निशाना बनाया था, जिसमें 8 सुरक्षाकर्मी और 1 ड्राइवर की मौत हो गई थी. बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ‘नक्सलियों ने कुटरू-बेदरे रोड पर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस का इस्तेमाल कर एक पुलिस वाहन को उड़ा दिया.’ सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाकर्मी अबूझमाड़ क्षेत्र में एंटी-नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे, जो 3 जनवरी को शुरू हुआ था और 4 जनवरी की शाम सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 5 नक्सली मारे गए थे. इस मुठभेड़ में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) का एक जवान भी शहीद हो गया.

बीजापुर नक्सली हमले में जान गंवाने वाले 8 पुलिस जवानों में से 5 पूर्व में नक्सली रह चुके थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये पांचों कुछ साल पहले मुख्यधारा में जुड़े थे और पुलिस फोर्स जॉइन की थी. बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया, ‘बीजापुर आईईडी ब्लास्ट में जान गंवाने वाले डीआरजी जवान हेड कांस्टेबल बुधराम कोरसा, कांस्टेबल दुम्मा मरकाम, पंडारू राम, बामन सोढ़ी और बस्तर फाइटर्स के कांस्टेबल सोमडू वेट्टी पहले नक्सली के रूप में सक्रिय थे और आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस बल में शामिल हो गए थे.’

पिछले साल बस्तर में 792 नक्सलियों ने सरेंडर ​किया
उन्होंने बताया कि कोरसा और सोढ़ी बीजापुर जिले के मूल निवासी थे, जबकि तीन अन्य निकटवर्ती दंतेवाड़ा जिले के रहने वाले थे. आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि पिछले साल 7 जिलों वाले बस्तर डिवीजन में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. कुटरू पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत अंबेली गांव के पास सुरक्षा कर्मियों को ले जा रहे काफिले में शामिल एक वाहन को नक्सलियों ने IED ब्लास्ट से उड़ा दिया था, जिसमें राज्य पुलिस की दोनों इकाइयों डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के 4-4 जवानों और एक ड्राइवर की मौत हो गई थी.

पिछले दो सालों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर किया गया यह सबसे बड़ा हमला था. ‘मिट्टी के बेटे’ कहे जाने वाले डीआरजी कर्मियों को बस्तर संभाग में स्थानीय युवाओं और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के बीच से भर्ती किया जाता है. डीआरजी को राज्य में फ्रंट लाइन एंटी-नक्सल फोर्स जाता है. पिछले चार दशकों से जारी वामपंथी उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए, लगभग 40,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले बस्तर डिवीजन के 7 जिलों में अलग-अलग समय में डीआरजी की स्थापना की गई थी.

पहली बार 2008 में कांकेर (उत्तरी बस्तर) और नारायणपुर (अबूझमाड़ सहित) जिलों में डीआरजी फोर्स की स्थापना की गई थी. इसके 5 साल बाद, 2013 में बीजापुर और बस्तर जिलों में डीआरजी फोर्स का गठन किया गया. साल 2014 में सुकमा और कोंडागांव जिलों में डीआरजी का विस्तार किया गया, जबकि दंतेवाड़ा में 2015 में इस एंटी-नक्सल फोर्स की स्थापना हुई. राज्य पुलिस की ‘बस्तर फाइटर्स’ यूनिट की स्थापना 2022 में की गई थी, जिसमें बस्तर डिवीजन के स्थानीय युवाओं को भर्ती किया गया, जो स्थानीय संस्कृति, भाषा, इलाके से परिचित हैं और आदिवासियों के साथ जुड़ाव रखते हैं.

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