काबुल: तालिबान के कठोर और अमानवीय नियमों की जकड़ से छूटकर दूसरे देशों का रुख करने वाले अफगानियों को अब तालिबान सरकार ऐसा करने से रोक रही है। बता दें कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आई है तभी से यहां से जाने की राह में लाखों अफगानी बैठे हैं। कुछ पहले ही अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं। जर्मनी उन देशों में सबसे आगे है जो अपने यहां पर अफगानिस्तान समेत अन्य देशों से आए शरणार्थियों को शरण दे रहा है।
तालिबान को जर्मनी की ये नीति नागवार लग रही है। यही वजह है कि वो अपने लोगों को अब खासतौर पर जर्मनी जाने से रोक रहा है। इसकी वजह से अफगानिस्तान में जर्मन संस्थानों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और कलाकारों और हजारों पूर्व स्थानीय कर्मचारियों वहां से निकाले की योजना योजना भी ठप हो गई है। जर्मनी जाने की इच्छा रखने वाले अफगानियों को तालिबान सरकार से न सुनने को मिल रहा है।
हालांकि इसके बावजूद भी अफगानी तालिबान की बेडि़यों से मुक्त होने की कोशिश में जुटे हैं। गौरतलब है कि तालिबान लगातार अफगानिस्तान के लोगों पर अपना शिकंजा कड़ा कर रहा है। महिलाओं और लड़कियों पर पहले ही उसके कड़े नियम लागू किए जा चुके हैं। इसके तहत महिलाओं को बिना किसी मर्द के घर से बाहर सार्वजनिक स्थलों पर जाने की मनाही है। तालिबान साफ कर चुका है कि उनकी सरकार पूरी तरह से शरियत के नियमों और कानूनों के हिसाब से ही चलेगी। जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा उसको इसकी सजा भी भुगतनी होगी।
जर्मनी मीडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार मौजूदा वर्ष में जुलाई से सितंबर के बीच वहां से करीब साढ़े सात हजार से अधिक लोगों को निकालने की कोशिश कर रहा था। लेकिन जर्मनी अब तक केवल 1,044 अफगानियों को ही योजना के तहत बर्लिन ले जा सका है। जर्मनी की सरकार ने जो प्लानिंग की थी उस पर तालिबान ने पानी फेर दिया है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि उसकी अफगानियों को तालिबान से छुड़ाकर बर्लिन लाने की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि तालिबान उन्हीं अफगानियों को देश छोड़ने की अनुमति दे रहा है जिनके पास पासपोर्ट है। इस बीच तालिबान नया पासपोर्ट भी जारी नहीं कर रहा है।
तालिबान की निगाह केवल हवाई मार्ग से देश छोड़कर जाने वाले अफगनियों पर ही नहीं लगी है बल्कि वो सड़क मार्ग से भी देश छोड़ने वालों पर पैनी निगाह लगाए हुए है। तालिबान पाकिस्तान में जाने वाली अफगानिस्तान की बसों की भी सघन तलाशी ले रहा है। किसी अफगानी के बस में होने पर उसको जबरन वापस भेजा जा रहा है। बता दें कि जून 2021 में जर्मनी और पाकिस्तान के बीच अफगान शरणार्थियों को लेकर एक समझौता हुआ था। इसके तहत पूर्व जर्मन कर्मचारियों को बिना पासपोर्ट के पाकिस्तान जाने की अनुमति देने का प्रावधान था। जर्मनी की ये भी कोशिश है कि पाकिस्तान आने वाले अफगानियों को वो बर्लिन ले जा सके।
जर्मन सरकार के मुताबिक करीब 10,000 अफगानी जर्मनी आने की राह में हैं। ये वो हैं जिन्हें जर्मनी ने अपने यहां पर लाने का वादा किया है। जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबाक ने जून में कहा था कि जर्मनी ने अफगानिस्तान से लगभग 21,000 लोगों बाहर निकाल लिया है।