नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को को ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने के संबंध में सिफारिशें की थीं, जिन्हें सितंबर में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया था। एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर अभी तक चुप्पी साधे विपक्षी नेताओं के रिएक्शन आने लगे हैं।
एक देश एक चुनाव के खिलाफ पहली उम्मीदों के मुताबिक कांग्रेस से आई है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दिए जाने की आलोचना करते हुए इसे ‘संसदीय लोकतंत्र और भारत के संघीय ढांचे पर हमला’ करार दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक देश एक चुनाव का मुखर विरोध किया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ सही मायनों में एक ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ व्यवस्था भी है, क्योंकि कभी-कभी सरकारें अपनी समयावधि के बीच में भी अस्थिर हो जाती हैं तो क्या वहां की जनता बिना लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के रहेगी। इसके लिए सांविधानिक रूप से चुनी गयी सरकारों को बीच में ही भंग करना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।
दरअसल ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र के ख़िलाफ़, एकतंत्री सोच का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। जो चाहता है कि एक साथ ही पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया जाए। इससे चुनाव एक दिखावटी प्रक्रिया बनकर रह जाएगा। जो सरकार बारिश, पानी, त्योहार, नहान के नाम पर चुनावों को टाल देती है, वो एक साथ चुनाव कराने का दावा कैसे कर सकती है। ‘एक देश, एक चुनाव’ एक छलावा है, जिसके मूल कारण में एकाधिकार की अलोकतांत्रिक मंशा काम कर रही है। ये चुनावी व्यवस्था के सामूहिक अपहरण की साजिश है।
वहीं कर्नाटका के मुख्यमंत्री इसे राज्यों के अधिकारों को कमजोर करने के उद्देश्य से एक ‘भयावह साजिश’ बताया। सिद्धरमैया ने चेतावनी दी कि अगर आवश्यक हुआ तो उनकी सरकार केरल सरकार की तरह ही प्रस्ताव का विरोध करने के लिए कांग्रेस आलाकमान से परामर्श करेगी। सिद्धरमैया ने केंद्र के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि मौजूदा चुनावी प्रणाली में तत्काल सार्थक सुधारों की आवश्यकता है और इस तरह के विधेयक को पेश करने से लोकतंत्र की नींव और भी ‘कमजोर’ होगी।