चेन्नई (तमिलनाडु): भाजपा (BJP) की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख अन्नामलाई ने 13 जनवरी को कहा कि भारत और श्रीलंका में फैली सेतुसमुद्रम जलमार्ग परियोजना (Sethusamudram waterway project) से सत्तारूढ़ द्रमुक के नेताओं के स्वामित्व वाली कुछ शिपिंग कंपनियों को ही लाभ होगा। बता दें कि भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Chief Minister MK Stalin) पर निशाना साधते हुए और सेतुसमुद्रम परियोजना के विरोध में कई ट्वीट किए है।
राम सेतु पुल को होगा नुकसान
विपक्षी भाजपा समेत हिंदू साधुओं ने जलमार्ग परियोजना पर चिंता व्यक्त करते हुए दावा किया है कि इससे राम सेतु पुल को नुकसान होगा। अन्नामलाई ने एक प्रेस ब्रीफिंग का विवरण पोस्ट करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘बीजेपी ने तमिलनाडु के लोगों को स्पष्ट करने के लिए एक प्रेस मीटिंग आयोजित की कि कैसे सीएमओ तमिलनाडु ने अर्ध-सत्य के साथ विधानसभा को गुमराह किया और सेतु समुद्रम परियोजना के बारे में झूठ बोला।
संकल्प को स्वीकार करने को संरेखण 4 ए की स्वीकृति के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए। अन्नामलाई ने पोस्ट किया कि बीजेपी ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम इस परियोजना को संरेखण 4ए (इस परियोजना के निष्पादन के लिए राम सेतु के विनाश की अनुमति नहीं दी जाएगी) के तहत आगे नहीं बढ़ने देंगे।
सीएम एमके स्टालिन पर साधा निशाना
सीएम एमके स्टालिन पर निशाना साधते हुए, भाजपा राज्य इकाई के प्रमुख ने कहा कि सुनामी विशेषज्ञ की सलाह को नजरअंदाज कर परियोजना को जारी रखा गया है। अन्नामलाई ने कहा, ‘तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने सुनामी विशेषज्ञ प्रोफेसर टाड एस मूर्ति की सलाह को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने कहा था कि राम सेतु के विनाश से इस क्षेत्र में सुनामी आ सकती है।’ अन्नामलाई ने एक ट्वीट में कहा, ‘इसके अलावा, सेतुसमुद्रम परियोजना से केवल डीएमके नेताओं, टीआर बालू और कनिमोझी के स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनियों को लाभ हो सकता है।’
विधानसभा में सेतुसमुद्रम परियोजना प्रस्ताव पारित
जानकारी के लिए बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 12 जनवरी को सेतुसमुद्रम परियोजना पर विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगा मिलेगा। यह कलाईनार (करुणानिधि) का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
परियोजना को विफल करने के प्रयासों का आह्वान करते हुए स्टालिन ने कहा कि भाजपा सरकार ने अब तक सेतुसमुद्रम परियोजना के केवल एक जलमार्ग की योजना बनाई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस जलमार्ग को विकसित करने के लिए धन आवंटित किया था। राजनीतिक कारणों से भाजपा ने सेतुसमुद्रम परियोजना का विरोध किया था। सीएम जयललिता सेतुसमुद्रम परियोजना के पक्ष में थीं, लेकिन अचानक उन्होंने भी अपना रुख बदल लिया था और परियोजना के खिलाफ मामला दायर कर दिया था।