नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों पर विपक्ष संसद में चर्चा की मांग कर रहा है। इस मांग को लेकर कांग्रेस, सीपीएम और बीआरएस जैसी पार्टियों के विपक्षी सांसदों ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव लेकर आए। विपक्षी सांसदों ने स्थगन प्रस्ताव दाखिल करने के बाद सोमवार सुबह गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया।
संसद के बजट सत्र की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खर्ग के चैंबर में बैठक की। उस बैठक में कांग्रेस सांसदों के अलावा डीएमके, एनसीपी, जेडीयू, सपा, सीपीएम, सीपीआई, आम आदमी पार्टी समते कई सांसद मौजूद थे। हालांकि उस बैठक में तृणमूल के सांसद नदारद थे। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्विटर पर लिखा, “विरोध, विरोध की जगह है और रहेगी। हालांकि, संसद सत्र स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। अगर कोई पार्टी इस पर सत्र स्थगित करने की कोशिश करती है तो पता होना चाहिए कि वे बीजेपी की मदद कर रहे हैं।”
तृणमूल के महुआ के अलावा, कांग्रेस नेता खड़गे, अधीर चौधरी, शिवसेना नेता संजय राउत और पार्टी के अन्य सदस्य सोमवार को गांधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन में शामिल होते देखे गए। अडानी समूह की जांच की मांग को लेकर अधीर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “यह न केवल कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों के लिए, बल्कि भारत के आम लोगों के लिए भी चिंता का विषय है।”
24 जनवरी को अमेरिकी स्टॉक रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने दावा किया कि अडानी समूह एक दशक से शेयर की कीमत में हेरफेर कर रहा है। यही कारण है कि अडानी ग्रुप्स के शेयर्स में उछाल हैं। कंपनी ने अडानी पर वित्तीय धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई और अडानी समूह को आर्थिक आपदा का सामना करना पड़ा और तभी से अडानी की कई कंपनियों के शेयर धराशायी हो गए। 10 दिनों में कुल 11 हजार 8 बिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में 9 लाख 73 हजार 401 करोड़ रुपये) का घाटा हुआ है। कुल मिलाकर पिछले एक हफ्ते में अडानी का घाटा आसमान छू गया है। इसके अलावा, हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। बजट सत्र के दिनों में विपक्ष ने अडानी पर लगे आरोपों पर चर्चा की मांग की थी।