अफगानिस्तान को 50000 टन गेहूं और दवाई भेजने की घोषणा भारत काफी समय पहले से ही कर चुका है पर लगातार पाकिस्तान की अटकलों के बीच भारत अफगानिस्तान की मदद नहीं कर पा रहा था। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की हालत बद से बदतर होती जा रही है। इसी बीच अफगानिस्तान की मानवीय संकट से निपटने के लिए भारत सहायता करने के लिए तैयार था पर अफगानिस्तान को भेजे जाने वाले 50000 टन गेहूं और दवाएं पाकिस्तान के सड़क मार्ग से भेजी जानी थी जिस पर पाकिस्तान लगातार अवरोध बनाए हुए था।
आपको बता दी इसी बीच राहत की खबर है कि कि भारत और पाकिस्तान में अफगानिस्तान को मदद भेजने के विषय में समझौता हो गया है। दोनों देशों में तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद अफगानिस्तान को लेकर मदद करने का फैसला किया गया है।
आपको बता दे गेहूं भेजने का काम फरवरी में शुरू किया जाएगा। निर्धारित बातों के आधार पर, भारत को पहली खेप के 30 दिनों के भीतर गेहूं की कुल मात्रा का परिवहन करना है। इन बातों को निर्धारित करने के लिए दोनों पक्षों में कई हफ्तों तक चर्चा हो रही थी ,अब जाकर यह प्रस्ताव स्वीकार हुआ।
शुरू में, पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले अपने ट्रकों में मानवीय सहायता का सामान काबुल तक पहुंचाना चाहता था.
भारत ने प्रस्ताव रखा कि खाद्यान्न को भारतीय या अफगान ट्रकों में अफगानिस्तान भेजा जाए. बाद में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि गेहूं अफगान ट्रकों द्वारा ले जाया जाएगा और अफगान ठेकेदारों की एक सूची पाकिस्तान के साथ साझा की गई.
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि अब सभी इंतजाम कर लिए गए हैं और पाकिस्तान पहली खेप की तारीख का इंतजार कर रहा है.
भारत ने पिछले साल सात अक्टूबर को पाकिस्तान को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें पाकिस्तानी भूमि के जरिये अफगानिस्तान के लोगों को 50,000 टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं भेजने के लिए अफगानिस्तान तक पहुंचने की सुविधा की मांग की गई थी और 24 नवंबर को इस्लामाबाद से इसका जवाब मिला.
नयी दिल्ली में शुक्रवार को एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सरकार अफगान लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें खाद्यान्न, कोविडरोधी टीके और आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि फिलहाल गेहूं खरीद और उसके परिवहन की व्यवस्था पर काम चल रहा है और इसमें कुछ समय लगता है.
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