खैबर पख्तूनख्वा: बाढ़ ने पाकिस्तान की इकोनॉमी बर्बाद कर दी है। बाढ़ से करीब 33 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपद को जलवायु परिवर्तन की वजह माना जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान वैश्विक कार्बन उत्सर्जन(global carbon emissions) का 1% से भी कम उत्पादन करता है। लेकिन यह जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावि दुनिया के टॉप-10 देशों में एक है। लाहौर और पंजाब प्रांत के अन्य हिस्सों में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण विभिन्न सब्जियों और फलों की कीमतों में भारी उछाल आया है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार भारत से टमाटर और प्याज का आयात कर सकती है।
आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में प्याज और टमाटर की कीमत 700 रुपए प्रति किलो हो सकती है। इसी तरह आलू की कीमत 40 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 120 रुपए किलो तक पहुंच सकती है। बलूचिस्तान और सिंध में बाढ़ से हजारों एकड़ में फैली फसलों के नष्ट होने के कारण बाजारों में सब्जियों की कम सप्लाई हो रही है।
अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ ने अब तक 1,030 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जिसमें सिंध में 74, खैबर पख्तूनख्वा में 31, गिलगित-बाल्टिस्तान (जी-बी) में छह, बलूचिस्तान में चार और पंजाब में एक की मौत हुई है। बलूचिस्तान में बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है। पिछले महीने इस साल का मानसून शुरू हुआ था। इसके असर से क्वेटा और किला अब्दुल्ला में एक बांध टूट गया था। जून के बाद से अचानक आई बाढ़ और मूसलाधार बारिश ने लगभग सभी प्रांतों में भारी तबाही मचाई है।
सरकार ने जलवायु परिवर्तन(climate change) के असर से आई इस प्राकृतिक आपदा में मानवीय संकट को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल(national emergency) की घोषणा की है।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बलूचिस्तान को बाढ़ से हुई तबाही से निपटने के लिए 10 अरब रुपये के अनुदान की घोषणा की है।
इससे पहले प्रधान मंत्री को बताया गया था कि बलूचिस्तान में 20 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और लगभग 13 लाख लोग बुरी हालत में हैं। लगभग 65,000 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए। बाढ़ से आधा पाकिस्तान डूबा हुआ है। लोगों ने ऐसी बाढ़ पहली बार देखी है। कई पुल बह गए। सड़कें डैमेज हो गई हैं। यही हाल घरों का है।