जासूसी, एक दिलचस्प काम की तरह देखा जाता है। आज दुनिया में बहुत सी जसूसी संस्थान हैं,लेकिन आज एक ऐसा सॉफ्टवेयर भी है जिसका नाम हर किसी की लबों पर है, पेगासस।
पेगासस अखिर है क्या?
पेगासस नाम का ये जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे इज़रायल की एनएसओ, जो की एक सॉफ्टवेयर कंपनी है, ने 2011 में ईजाद किया था। पेगासस एक एसा सॉफ्टवेयर है, जो की किसी भी फोन में जा कर पुरा डेटा, सेंटर तक पंहुचा देता है।
पीबीएनएस ने एक रिपोर्ट में बताया था की ये जासूसी सॉफ्टवेयर किसी भी व्यक्ति के फोन में एक लिंक भेजता है, और अगर वो व्यक्ति इस लिंक को क्लिक करता है तो जासूसी कर्ता को निगरानी की अनुमति अपने आप मिल जाती है। पेगासस को अभी तक का सबसे हाईटेक सॉफ्टवेयर बताया गया है। पेगासस फोन में घुसने के बाद फोन की सारी अहम जानकारियां जैसे संपर्क नंबर, कैलेंडर, ईमेल, कॉल हिस्ट्री , ब्राउजिंग हिस्ट्री समेत हर जानकारी चुरा लेता है। ये किसी व्यक्ति का कॉल रिकॉर्ड भी कर देता है। कैमरे के जरिये किसी की भी वीडियो बना सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने 2017 में पेगासस को इज़रायल से खरीदा था। 1 दशक के अंदर ही अंदर, पेगासस दुनिया भर में मशहूर हो गया।
एनएसओ कंपनी का ईजाद 2010 में इज़रायल कि अर्थिक राजधानी कहे जाने वाले तेल अवीव हुआ था। कंपनी की नीव, निव कर्मी, ओमरी लवी, और शैलेव हुलियो ने रखी थी। निव कर्मी ने स्थापना के एक महीने बाद कंपनी छोड़ दी। तीनो के नाम के पहले अक्षर को मिलाकर कंपनी को अपना नाम मिला था।
एनएसओ की शुरवात किसी बड़ी बिल्डिंग और बहुत सारे पैसे से नहीं हुई थी, एनएसओ की शुरवात हुई थी 2000 में, एक चिकन फार्म मे। ऑयल अवीव के पास एक चिकन फार्म था, और चिकन फार्म के मालिक को चिकन से ज्यादा कमाई, नए कोडर्स को फार्म किराये पर देने में लगी। उस समय उसने फार्म को उन टेक स्टार्टअप्स को किराये पर दिया जो बाद में एनएसओ का इजाद करने वाले थे।
पेगासस को डेवेलोप तो कर लिया गया था, लेकिन कोई भी देश उसे इज़रायल से खरीदने में हिचकिचा रहा था और इज़रायल को शक की नज़रो से देख रहा था। फिर मेजर जनरल एविग्डोर बेन गाल ने एनएसओ के चेयरमैन की गद्दी संभाली। उनका एक सम्मानित सैन्य अधिकारी होने के कारन एनएसओ और इज़रायल गवर्नमेंट के बिच दूरियां कम हुई। इसके बाद एनएसओ ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया कि अब वे अपने सॉफ्टवेयर किसी भी कंपनी या व्यक्ति को नहीं बेचेंगे उनके सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकार को बेचे जाएंगे। और ये सारे काम इज़राइल की डिफेंस एक्स्पॉट् कण्ट्रोल एजेंसी से मिलने वाले लाइसेंस के अंतरगत होंगे। पेगासस की वजह से होने वाली अमदानी को देख कर इज़रायल ने एनएसओ को एक “डिप्लोमैटिक टूल” की तरह इस्तेमाल करने लगा।
पेगासस की वजह से एनएसओ ने 2011 में 15 मिलियन डॉलर, 2012 में 30 मिलियन डॉलर, और 2013 में 40 मिलियन डॉलर कमाए । 2021 में एनएसओ की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर की आंकी गई।
एनएसओ और इज़रायल की जुगलबंदी जल्द ही रंग लायी, कुछ ही समय में उन्होंने भारत, सऊदी अरब और मेक्सिको समेत 40 देशों की सरकार को जासूसी सॉफ्टवेयर बेचा।
2019 में भारत में भी पेगासस से बड़े-बड़े लोगो पर जासूसी करने की बात सामने आई। भारत सरकार और इज़रायल सरकार की मनाही के बाद भी कई रिपोर्ट हैं जिनके मुताबिक भारत मैं पेगासस के माध्यम से कई मंत्रियो, नेताओ, न्यायधिशो, पत्रकारो, बिजनेस मैन और सामाजिक कार्यकर्ता पर जासूसी की गई थी।