कोरोना टीके पर अपनी शर्तें मनवाने के लिए फाइजर बना रही थी भारत पर दबाव

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नई दिल्ली : महामारी के दौरान दुनिया की बड़ी दवा निर्माता कंपनी फाइजर कोरोना टीके को लेकर अपनी शर्तें थोपने के लिए भारत पर दबाव बना रही थी। कंपनी दवा के दुष्प्रभाव की स्थिति में क्षतिपूर्ति से राहत वाली शर्तों पर रियायत के लिए ऐसा कर रही थी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को ट्वीट कर उस दौरान कांग्रेस नेताओं पर विदेशी दवा कंपनी की पैरवी का आरोप भी लगाया।

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पी. चिदंबरम व जयराम रमेश कोविड काल में विदेशी टीके के लिए दबाव बना रहे थे। चंद्रशेखर फिलहाल विश्व आर्थिक मंच की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दावोस में हैं। एक दिन पहले ही इस सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बुराला टीके के प्रभाव को लेकर सवालों से भागते नजर आए थे।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राजीव चंद्रशेखर के कांग्रेस नेताओं पर लगाए आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें झूठा करार दिया। रमेश ने ट्वीट किया, यह पूरी तरह बकवास है मंत्री जी। चिकने खंभे पर चढ़ाई करने की आपकी महत्वाकांक्षा आपको उससे अधिक झूठा न बना दे जितने आप हैं।

कोरोना महामारी के पहले दौर में फाइजर ने अपना टीका भारत को बेचने का प्रस्ताव दिया था। कंपनी ने 2021 में एमआरएनए आधारित टीका विकसित करने की घोषणा की थी। वार्ता के दौरान कंपनी ने केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति शर्त से छूट देने की मांग की थी। हालांकि, नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मांग को मानने से इन्कार कर दिया था।

क्षतिपूर्ति शर्त के तहत यदि किसी दवा या टीके का विपरीत प्रभाव होता है, तो उत्पादक कंपनी को जवाबदेही लेनी होती है। फाइजर टीके से लाभ तो कमाना चाहती थी, लेकिन जवाबदेही नहीं लेना चाहती थी।

चिदंबरम ने की थी फाइजर, मॉडर्ना की वकालत : कांग्रेस नेता चिदंबरम ने 27 दिसंबर 2021 को ट्वीट किया, भारत में सिर्फ तीन टीके हैं-कोविशील्ड, कोवाक्सिन व स्पूतनिक। मोदी सरकार के संरक्षणवादी नीति के कारण फाइजर, मॉडर्ना के टीके भारत से बाहर हैं।

भारत ने स्वदेशी कोविशील्ड और कोवाक्सिन टीकों के जरिये अपनी पूरी आबादी का सफल टीकाकरण बेहद कम समय में पूरा किया। यही नहीं भारत ने दूसरे देशों को भी इन टीकों की आपूर्ति की।

टीके के परीक्षण से संबंधित दस्तावेज लीक होने से यह खुलासा हुआ कि कंपनी को यह जानकारी थी कि टीका वायरस का संक्रमण नहीं रोक सकता। साथ ही यह भी खुलासा हुआ कि इस टीके से मौतें होने की जानकारी भी कंपनी को थी। इसके बावजूद कंपनी ने टीके को बाजार में उतार दिया।
अमेरिका में फाइजर कंपनी की टीकों की शुरुआत के बाद दुष्प्रभाव के एक लाख 60 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे।

दावोस में फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बुराला को बृहस्पतिवार को ही पत्रकारों की ओर से कोरोना टीके को लेकर कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। पत्रकारों ने बुराला से टीके से संक्रमण न रुकने और मौतें होने से संबंधित कई सवाल पूछे। हालांकि, उन्होंने किसी का जवाब नहीं दिया और सिर्फ धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो जैसी लाइनें दोहराते रहे।

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