नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य कानून के तहत अपना पद खो देता है तो वह तब तक अयोग्य रहेगा, जब तक वह अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से बरी नहीं हो जाता है।
लखनऊ के वकील और याचिकाकर्ता अशोक पांडेय ने संविधान पीठ से यह निर्णय लेने का अनुरोध किया कि क्या दोषसिद्धि पर रोक के आधार पर, एक व्यक्ति जो कानून के तहत अयोग्यता का सामना कर चुका है, वह संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य होने या चुने जाने के योग्य हो जाएगा या नहीं।
दरअसल, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी थी। इस मामले में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल जज ने दो साल की अधिकतम सजा देने के लिए कोई कारण नहीं बताया था। सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद लोकसभा सचिवालय ने 7 अगस्त को राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कर दी थी।
इस साल मार्च महीने में राहुल गांधी को एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान ‘मोदी सरनेम’ पर विवादित टिप्पणी के चलते दो साल जेल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी की टिप्पणी की व्याख्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के बीच एक अंतर्निहित संबंध निकालने के प्रयास के रूप में की गई थी।