प्रधानमंत्री ने पुणे मेट्रो को दिखाई हरी झंडी, कई विकास परियोजनाओं का किया उद्घाटन और शिलान्यास

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पुणे : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पुणे मेट्रो के पहले चरण के दो गलियारों के पूर्ण हो चुके खंडों पर सेवाओं के उद्घाटन के अवसर पर मेट्रो ट्रेनों को झंडी दिखाई। उन्होंने पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। इसके अलावा पीसीएमसी द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 1280 से अधिक घरों को लाभार्थियों को सुपुर्द किया। इसके साथ ही पुणे नगर निगम द्वारा निर्मित 2650 से अधिक पीएमएवाई घरों को भी लाभुकों को सौंपा। इसके अतिरिक्ति, प्रधानमंत्री पीसीएमसी द्वारा निर्मित किए जाने वाले लगभग 1190 पीएमएवाई घरों और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित 6400 से अधिक घरों की आधारशिला रखी।

उल्लेखनीय है कि ये खंड फुगेवाड़ी स्टेशन से सिविल कोर्ट स्टेशन और गरवारे कॉलेज स्टेशन से रूबी हॉल क्लिनिक स्टेशन तक हैं। प्रधानमंत्री ने 2016 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। नए खंड पुणे शहर के महत्वपूर्ण स्थानों जैसे शिवाजी नगर, सिविल कोर्ट, पुणे नगर निगम कार्यालय, पुणे आरटीओ और पुणे रेलवे स्टेशन को जोड़ेंगे। यह उद्घाटन देश भर में नागरिकों को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल मास रैपिड शहरी परिवहन प्रणाली प्रदान करने के प्रधानमंत्री के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस रूट पर कुछ मेट्रो स्टेशनों की रूपरेखा छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर बनाई गई है। छत्रपति संभाजी उद्यान मेट्रो स्टेशन और डेक्कन जिमखाना मेट्रो स्टेशनों की एक अनूठी रूपरेखा है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों द्वारा पहने जाने वाले हेडगियर से मिलती-जुलती है, जिसे मावला पगाड़ी भी कहा जाता है। शिवाजी नगर भूमिगत मेट्रो स्टेशन की एक विशिष्ट रूपरेखा है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित किलों की याद दिलाती है।

एक और अनूठी विशेषता यह है कि सिविल कोर्ट मेट्रो स्टेशन देश के सबसे गहरे मेट्रो स्टेशनों में से एक है, जिसमें 33.1 मीटर का सबसे गहरा बिंदु है। स्टेशन की छत को इस तरह से बनाया गया है कि सीधी धूप प्लेटफॉर्म पर पड़े। पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। यह बिजली का उत्पादन करने के लिए सालाना लगभग 2.5 लाख मीट्रिक टन अपशिष्ट का उपयोग करेगा।

 

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