किसी को सुराही तो किसी को पेंटिंग, BRICS सम्मेलन में PM मोदी ने बांटे ये गिफ्ट?

0 85

नई दिल्ली: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अध्यक्षों को कई भारतीय उपहार भेंट किए हैं. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को तेलंगाना की प्रसिद्ध बीदरी सुराही उपहार में दी. वहीं दक्षिण अफ्रीका की प्रथम महिला त्शेपो मोत्सेपे को उन्होंने नागालैंड की शॉल भेंट की है. इसके अलावा पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को भी मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग उपहार में दी है. ये सभी उपहार भारतीय परंपरा और संस्कृति की कहानी बयां करते हैं.

बीदरी सुराही भारत की लघु परंपरा का हिस्सा है. इसका इतिहास 500 साल पुराना माना जाता है. बीदरी फ़ारसी भाषा का शब्द है. हालांकि इसका उत्पादन बीदर क्षेत्र तक ही सीमित है, लेकिन अपनी सुंदरता और उपयोगिता के लिए यह काफी प्रसिद्ध है. बीदरी सुराही को जिंक, कॉपर और कई अलौह धातुओं से बनाया जाता है. इसके ऊपर आकर्षक पैटर्न भी उकेरे जाते हैं जो काफी खूबसूरती बिखेरते हैं. इसकी बनावट में शुद्ध चांदी के तार का भी उपयोग किया जाता है.

चांदी की नक्काशी भारत की सदियों पुरानी शिल्पकला है. इसे बनाने में काफी मेहनत होती है. आकार देने से पहले इसका पैटर्न पहले कागज पर बनाया जाता है. और फिर चांदी की शीट पर उसे ढाला जाता है. इसके बाद हथौड़े या अन्य बारीक औजारों से पीट-पीटककर उसे सही आकार दिया जाता है. बाद में उसकी पॉलिशिंग, बफ़िंग भी की जाती है. कर्नाटक राज्य के कई हिस्सों में इसे बनाया जाता है.

उत्कृष्ट कारीगरी के लिए नागालैंड की शॉल भारत के अलावा दुनिया के कई और देशों में प्रसिद्ध है. इसे कला का उत्तम नमूना कहा जाता है. भारत के पूर्वोत्तर भाग खासतौर पर नागालैंड की जनजातियां इसे सदियों से बुनती आ रही हैं. ये शॉल अपने रंगों, डिजाइनों और बुनाई तकनीकों के जानी जाती हैं और इसकी काफी मांग है. इस कला को नागालैंड की जनजातियां पीढ़ी दर पीढ़ी सीखती है और आगे बढ़ाती है.

नागा शॉल में कपास, रेशम और ऊन का इस्तेमाल किया जाता है. नागा शॉल की सबसे खास विशेषता है. इसकी ज्यामितीय और प्रतीकात्मक डिजाइन होती है. और ये डिज़ाइन यहां की जनजाति के मिथकों, किंवदंतियों और मान्यताओं से प्रेरित हैं. इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ जाता है.

हर नागा शॉल एक अनोखी कहानी कहती है. इसमें जनजाति के इतिहास, मान्यताएं और जीवनशैली की गाथा गुंथी होती है. जानकारों का मानना ​​है रंग जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं. मसलन लाल रंग साहस का प्रतीक है, जबकि काला शोक का प्रतीक है. सफेद रंग पवित्रता से जुड़ा है और हरा रंग विकास और समृद्धि का प्रतीक है. इन रंगों को बनाने के लिए बुनकर अक्सर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं.

मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग भी एक प्रसिद्ध जनजातीय कला है. ‘गोंड’ एक द्रविड़ियन शब्द है, जिसका अर्थ होता है- ‘हरा पहाड़’. यह बिंदुओं और रेखाओं से बनाई जाती है. ये पेंटिंग गोंड जनजातियों की परंपरागत पहचान है. उनके घरों की दीवारों और फर्शों पर इसे बखूबी दर्शाया जाता है. इसे बनाने में भी प्राकृतिक रंगों का भरपूर उपयोग किया जाता है. साथ ही लकड़ी के कोयले के अलावा मिट्टी, पौधे का रस, पत्तियां, गाय का गोबर, चूना, पत्थर का पाउडर वगैरह का भी उपयोग किया जाता है.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.