पीएम मोदी के नेतृत्‍व वाला गठबंधन एनडीए को बहुमत

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मुंबई : भारत में लोकसभा चुनाव के बाद अब पीएम मोदी के नेतृत्‍व वाला गठबंधन एनडीए बहुमत । नतीजों और रुझानों में बीजेपी के नेतृत्‍व वाले गठबंधन को करीब 300 सीटें । वहीं सरकार बनाने के लिए कुल 272 सीटों की जरूरत होती है। अब सबकी नजरें नीतीश कुमार और एन चंद्रबाबू नायडू पर टिकी हुई हैं। नीतीश की पार्टी ने कहा है कि वह एनडीए में है और वहीं रहेगी। इस बीच इंडिया गठबंधन की ओर से नीतीश और नायडू को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है। अगर नीतीश और नायडू एनडीए से हटते हैं तो पीएम मोदी को फिर से सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। गठबंधन सरकार की वजह से अगली सरकार ‘जुगाड़’ पर आधारित होगी और बीजेपी को इसी वैशाखी के सहारे चलना होगा। इसी वजह से कई लोगों का कहना है कि इसका असर दुनिया में पीएम मोदी की अजेय छवि पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं।

अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा का मानना है कि इसका कोई खास असर पीएम मोदी पर नहीं पड़ेगा। कमर आगा ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत कहा कि भारत का जो भी प्रधानमंत्री होता है, उसका दुनिया में हमेशा से ही बहुत बड़ा कद रहा है। भारत विकासशील देशों का भी संयुक्‍त राष्‍ट्र और अन्‍य मंचों पर प्रतिनिधित्‍व करता है। पीएम मोदी ने अपनी एक छवि बनाई थी और उनके काम करने का एक तरीका था। पीएम मोदी यूरोप और अमेरिका के साथ रिश्‍ते को और आगे बढ़ाना चाहते थे। सवाल इस बात का है कि पश्चिमी देश यह देखते हैं कि उनके हितों को भारत से कितना फायदा हो रहा है। वहीं पीएम मोदी की नीति रही है कि वह भारत के हित को बढ़ाते रहे हैं।

आगा ने कहा कि पीएम मोदी ‘भारत फर्स्‍ट’ की नीति से पश्चिमी देशों को दिक्‍कत रही है। पीएम मोदी की गठबंधन सरकार बनने पर अफ्रीका, मध्‍य एशिया और खाड़ी देशों के साथ रिश्‍ते पहले जैसे रहेंगे। भारत यूरोप, रूस के साथ अपने रिश्‍ते वैसे ही रखेगा। रूस भारत का सबसे करीबी दोस्‍त रहा है। अरब देशों में पीएम मोदी ने अपने निजी रिश्‍ते बनाए हैं। मुझे नहीं लगता है कि कम सीटें आने से इन देशों में पीएम मोदी के कद को कोई असर पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी को अपने नए कार्यकाल में अमेरिका और यूरोप के साथ रिश्‍ते अच्‍छा बनाए रखने की कोशिश करेंगे। चीन को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के साथ भारत को अच्‍छे रिश्‍ते रखने होंगे।

कमर आगा ने कहा कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में उनको सबसे ज्‍यादा चुनौती दक्षिण एशिया में देखने को मिलेगी। पीएम मोदी जब सत्‍ता में आए थे तो उन्‍होंने पड़ोसी पहले की नीति को प्राथमिकता दी थी। नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश के साथ चीन अपने रिश्‍ते बहुत मजबूत कर रहा है। इससे भारत को सबसे ज्‍यादा चुनौती दक्षिण एशिया से आ रही है। पीएम मोदी के सामने अगले 5 साल में दक्षिण एशिया के साथ रिश्‍ते सुधारना सबसे बड़ी चुनौती होगा। मालदीव में मुइज्‍जू सरकार लगातार भारत विरोधी कदम उठा रही है। इन सबको अगले 5 साल में साधना होगा।

बता दें कि अपने 10 साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने विदेश नीति के मोर्चे पर भारत की धाक को बढ़ाने पर काफी काम किया। चीन की चुनौती के सामने पीएम मोदी डटे रहे और अब भारत के 50 हजार सैनिक चीन की आंख में आंख डालकर बात कर रहे हैं। पीएम मोदी ने जी-20 का सफल आयोजन किया। रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर गाजा युद्ध तक भारत ने शांति को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाया। खाड़ी के मुस्लिम देशों के साथ भारत के रिश्‍ते अब नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। इनमें से कई मुस्लिम देशों ने पीएम मोदी को सम्‍मानित भी किया है।

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