नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘जीनोमिक्स डेटा कॉन्क्लेव’ में ‘जीनोम इंडिया डेटा’ के दौरान भारतीय शोध क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाने की बात कहा गया है। इसके साथ ही उन्होंने शोधकर्ताओं और विभिन्न अनुसंधान संस्थानों के योगदान की तारिफ भी की। भारतीय जैविक डेटा केंद्र के शोधकर्ताओं को ये ‘प्रबंधित पहुंच’ के जरिए से उपलब्ध है। हलांकि इस परियोजना का डेटा 10 हजार भारतीयों का ‘जीनोम सिक्वेंस’ अब इंडिया बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध है। जिसमे मुझे विश्वास है कि बायो-टेक्नोलॉजी शोध के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।
जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार केंद्र
इस पर पीएम मोदी ने कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक और औद्योगिक सीएसआईआर और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार केंद्र जैसे 20 से भी ज्यादा प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों ने इस शोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और आज भारत ने शोध की दुनिया में बहुत ही ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस बीच कोविड की चुनौतियों के बावजूद हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत से इस परियोजना को पूरा किया है।
पीएम मोदी ने कहा है कि इस राष्ट्रीय डेटाबेस में देश के असाधारण आनुवंशिक परिदृश्य को समाहित किया गया है और ये एक अमूल्य वैज्ञानिक संसाधन के रूप में काम करने का वादा करता है। उन्होंने कहा कि ये आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में प्रगति की सुविधा प्रदान करेगा, नई दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा और विविध समुदायों की जीवनशैली और आदतों में अनुसंधान को सक्षम करेगा।
बता दें कि कोरोना वायरस के लिए अप्रैल 2020 की शुरुआत में राष्ट्रव्यापी जीनोमिक निगरानी प्रयासों को लागू करने वाले दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन पहले बड़े देश थे। स्वरूप की खोज का काम उन नमूनों के पूरे जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से किया जाता है जिसमें संक्रमण की पुष्टि होती है।