नई दिल्ली : भारत जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। नौ सितंबर में नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इंडोनेशिया जाएंगे। पीएम मोदी की इंडोनेशिया यात्रा को भारतीय राजदूत ने महत्वपूर्ण बताया है। राजदूत ने कहा कि इस यात्रा से वैश्विक पटल पर संदेश जाएगा कि भारत अपने क्षेत्र और आसियन केंद्रीयता को कितना महत्व देता है।
भारतीय राजदूत जयंत खोबरागड़े ने मंगलवार को कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 शिखर सम्मेलन के बावजूद इंडोनेशिया आ रहे हैं। इससे साबित होता है कि भारत इस क्षेत्र को कितना महत्व देता है। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में हमारे पास लुक ईस्ट नीति थी। इसके बाद 2014 में पीएम मोदी ने हमें एक्ट ईस्ट नीति दी, जो हिंद-प्रशांत महासागर पहल में विकसित हुई। इस तरह यह अधिक व्यापक बन गया।
राजदूत ने आगे बताया कि भारत हमेशा आसियन की केंद्रीयता को महत्व देता है। यह कनेक्टिविटी, व्यापार, निवेश, लोगों से लोगों के बीच संपर्क के बारे में है। उन्होंने आगे कहा कि हिंद-प्रशांत महासागर में चीन की विस्तारवादी नीति और आक्रमक रूप के कारण शिखर सम्मेलन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने यूएनसीएलओएस (UNCLOS- समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन) की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि भारत चाहता है कि यह विकसित हो और समृद्ध हो। वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र महत्वपूर्ण है। नेवीगेशन के कारण व्यापार में परेशानी हो सकती है। इसलिए भारत यूएनसीएलओएस (नेविगेशन की स्वतंत्रता को लेकर एक संविधान की तरह है) पर जोर देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह सितंबर की रात को नई दिल्ली से इंडोनेशिया के लिए रवाना होंगे। इसके बाद पीएम मोदी सात सितंबर की शाम को भारत के लिए रवाना हो जाएंगे। पीएम मोदी आसियान के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों के साथ आसियान भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका को साथ लाता है। पीएम मोदी नौवें आसियान भारत शिखर सम्मेलन में इस बार शामिल होंगे।