नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की शिखर बैठक में भाग लेने आज शाम उज़्बेकिस्तान के समरकंद रवाना होंगे जहां आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, कनेक्टिविटी और व्यापार एवं निवेश पर चर्चा होगी। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने आज यहां संवाददाताओं को प्रधानमंत्री की यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्ज़ीयोयेव के निमंत्रण पर मोदी आज शाम समरकंद की 24 घंटों की यात्रा पर जा रहे हैं जहां वह एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22 वीं बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एससीओ की शिखर बैठक में बहुत कम समय ठहरेंगे। वह आज देर रात समरकंद पहुंचेंगे और कल सुबह शिखर बैठक में शामिल होंगे। बैठक के दो सत्र होंगे, एक सत्र सदस्यों के लिए बंद कमरे में होगा और दूसरा विस्तारित सत्र होगा जिसमें पर्यवेक्षक एवं विशेष आमंत्रित देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
क्वात्रा ने कहा कि शिखर बैठक के बाद उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक के अलावा कुछ अन्य नेताओं के साथ भी अलग से मुलाकातें होंगी। इसके पश्चात वह कल रात ही वापस भारत लौट आएंगे। पत्रकारों द्वारा शिखर बैठक में मौजूद रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ से मुलाकात होने की संभावना या कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने सिर्फ इतना ही कहा कि कार्यक्रम तय होते ही इसकी सूचना दे दी जाएगी।
क्वात्रा ने कहा कि एससीओ शिखर बैठक में प्रधानमंत्री का भाग लेना यह दर्शाता है कि भारत इस संगठन और इसके मकसद को कितना महत्व देता है। हम अपेक्षा करते हैं कि शिखर बैठक में प्रासंगिक क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, एससीओ में सुधार एवं विस्तार, क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति, परस्पर सहयोग तथा कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने एवं कारोबार को बढ़ावा देने के बारे में रचनात्मक चर्चा हाेगी। उन्होंने कहा कि एससीओ में अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरीडोर (आईएनएसटीसी) और अश्गाबात समझौते के बारे में चर्चा होने की उम्मीद है।
आतंकवाद को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि आतंकवाद की चुनौती को विभिन्न देश भिन्न भिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं और उनका अलग अलग आकलन है। एससीओ के सदस्य देशों में आतंकवाद की चुनौतियों को लेकर गहरी समझ है। वे इस चुनौती से निपटने के लिए व्यावहारिक सहयोग के लिए एक साथ आने की जरूरत को भी समझते हैं और सराहना करते हैं।