मुंबई. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की यहां स्थित विशेष अदालत ने हीरा व्यापारी और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के आरोपी की कंपनी में काम करने वाली कविता मनकिकर को जमानत अर्जी दाखिल करने के चार साल से अधिक समय बाद जमानत दी। विशेष न्यायाधीश एस जे मनजोगे ने अपने आदेश में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय ने पहले ही कहा है कि मनकिकर की गिरफ्तारी गैरकानूनी है और केंद्रीय जांच एजेंसी को कानूनी प्रक्रिया के तहत दोबारा गिरफ्तार करने की आजादी है।
विशेष अदालत ने कहा, “अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई है, लेकिन वह नियमित तौर पर अदालत में पेश हो रही हैं। ऐसे में उनकी जमानत अर्जी खारिज करने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती।”
अधिवक्ता राहुल अग्रवाल और जस्मीन पुरानी के जरिये दाखिल की गई जमानत अर्जी में मनकिकर ने उच्च न्यायालय का हवाला दिया था। उन्होंने जमानत देने का अनुरोध करते हुए तर्क दिया था कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और जांच पूरी हो चुकी है। हालांकि, जांच एजेंसी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि भारत और विदेशों में मामले की आगे की जांच अब भी जारी है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। विशेष अदालत ने रेखांकित किया कि जमानत की अर्जी जून 2018 से ही लंबित है।
गौरतलब है कि मनकिकर नीरव मोदी की कार्यकारी सहायक थीं और उसकी तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थीं। सीबीआई के मुताबिक, मनकिकर ने फर्जी तरीके से सहमति पत्र (एलओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
गौरतलब है कि 31 जनवरी 2018 को सीबीआई ने नीरव मोदी, उसके मामा व गीतांजलि जेम के मालिक मेहुल चोकसी और पीएनबी के कई अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। नीरव मोदी पर आरोप है कि कथित तौर पर उसने 150 एलओयू के जरिये बैंक से 6,498 करोड़ रुपये से अधिक राशि की धोखाधड़ी की। वहीं, गीतांजलि जेम ने अन्य 150 एलओयू के जरिये 4,886 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।