बीजेपी का कमजोर सीट पर ‘कमल’ खिलाने की तैयारी, लिस्ट से पहले टिकट का ‘ग्रीन सिग्नल’

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भोपाल: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा है. यही वजह है कि बीजेपी किसी भी सूरत में कोई भी सियासी रिस्क नहीं लेना चाहती है. बीजेपी ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों की चर्चा होगी. सीईसी की बैठक में बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कमजोर सीट पर ‘कमल’ खिलाने की तैयारी को लेकर मंथन करेगी.

बीजेपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर फतह करने का प्लान बना लिया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की कमजोर सीटों को दो कैटेगरी में बांट रखा है. बीजेपी ने डी-कैटेगरी में उन सीटों को रखा है, जहां पर उसे कभी जीत नहीं मिल सकी है. इसी तरह सी-कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया है, जहां पर उसे बहुत जीत मिली है या फिर कम वोटों से जीती है. मध्य प्रदेश में करीब 60 से 65 सीटें हैं तो छत्तीसगढ़ की करीब 30 से 35 सीटें बीजेपी के लिए कमजोर मानी जा रही हैं.

दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में बीजेपी कमजोर माने जाने वाली सी और डी दोनों कैटेगरी की सीटों को मजबूत करने के लिए मंथन किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केंद्रीय चुनाव समिति के 15 सदस्य शामिल होंगे. इस दौरान बैठक में उम्मीदवार तय करने और प्रचार-प्रसार रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी. इतना ही नहीं कमजोर सीटों पर पार्टी को मजबूत करने की नहीं बल्कि जीतने का खाका भी तैयार किया जाएगा. बीजेपी का पूरा ध्यान उन सीटों पर जहां पर उसे लगता है कि यहां हार हो सकती है.

बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कमजोर माने जाने वाली सीट पर उम्मीदवारों को लेकर भी मंथन की जा सकती है. सूत्रों की माने तो बीजेपी इन कमजोर सीटों पर संभावित उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का ग्रीन सिंग्नल दे सकती है ताकि चुनावी घोषणा हो तो बीजेपी के प्रत्याशी कांग्रेस के कैंडिडेट की अपेक्षा में काफी आगे रहें. इस तरह से बीजेपी कमजोर सीट पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. इसके अलावा पार्टी संगठन और नेतृत्व के साथ मिलकर उन कमजोर सीटों पर अपना-अपना अभियान को धार देगी. इस तरह उम्मीदवारों को चुनावी माहौल बनाने के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाएगा.

बीजेपी इस बात को बखूबी जानती है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना है. विपक्षी दल भी इसी रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव को जीतने का खाका खींच रही है. ऐसे में बीजेपी किसी तरह का कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. मजबूत सीटों के साथ-साथ कमजोर सीटों पर भी चुनाव जीतने की स्ट्रेटेजी बना रही है.

बीजेपी कमजोर सीटों पर जीत हासिल करने के लिए केंद्र सरकार की वेलफेयर स्कीम्स को लोगों तक पहुंचाने की मुहिम को तेज करना चाहती है. इतना ही नहीं शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में चुनावी अभियान को धार देने में जुटे हैं और छत्तीसगढ़ में केंद्रीय नेतृत्व ने भी चुनावी कमान संभाल रखी है. इस तरह से बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव जीतने पर फोकस कर रही है.

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