भुवनेश्वरः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को ओडिशा के गोपबंधु आयुर्वेद महाविद्यालय के 75वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए कहा कि योग और प्रकृति से जुड़े रहकर व्यक्ति आजीवन रोगमुक्त रह सकता है। राष्ट्रपति ने आयुर्वेद के विद्यार्थियों से अनुसंधान करने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘अनुसंधान किसी भी प्रद्धति को वैज्ञानिक आधार देने में सक्षम है। सबूत से लोगों में विश्वास का वातावरण बनता है और इसी विश्वास से स्वीकार्यता के मार्ग में विस्तार होता है।”
जनजातीय ज्ञान को संरक्षित करने की अपील
राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों में प्रचलित पारंपरिक उपचार पद्धतियों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ खास रोगों के उपचार के लिए आदिवासी बुजुर्ग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियों का ज्ञान रखते हैं, लेकिन यह पारंपरिक ज्ञान धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है।
ओडिशा के मयूरभंज जिले में संथाल समुदाय से संबंधित मुर्मू ने विद्यार्थियों को पारंपरिक ज्ञान पर शोध करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, मैं आशा करती हूं कि अगर आप इन उपचार पद्धतियों का वैज्ञानिक आधार खंगालते हैं, तो यह समाज के लिए लाभप्रद हो सकता है और विलुप्त होती परंपराओं को भी संरक्षित किया जा सकता है।”
ताड़पत्र पांडुलिपियों में छिपे हैं आयुर्वेद के रहस्य
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों एवं अनुसंधानकर्ताओं का ध्यान राज्य संग्रहालय में में संजोकर रखी गयीं ताड़पत्र पांडुलिपियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें आयुर्वेद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि कई लोगों के घरों में भी ताड़पत्र पांडुलिपियां हैं। “साहित्य के अलावा इन पांडुलिपियों में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का विवरण है। इस दिशा में मैं आशा करती हूं कि आप अनुसंधान कर इस छिपी हुई उपचार पद्धति के ज्ञान को लोगों के सामने लाने की चेष्टा करेंगे।
योग अपनाने का आह्वान
राष्ट्रपति ने स्वस्थ जीवन के लिए योग को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि अब दुनियाभर में लोग योग और आयुर्वेद सीखने के लिए इच्छुक हैं। साथ ही मुर्मू ने ‘रोगमुक्त रहने के लिए योगयुक्त रहने’ का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि संतुलित आहार अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। योग बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकता है। आयुर्वेद में कई रोगों का इलाज होने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थी आयुर्वेद में सघन अनुसंधान को अपनाएं। इस कार्यक्रम को ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और अन्य ने भी संबोधित किया।