नई दिल्ली। गुजरे जमाने की बेहतरीन अदाकारा आशा पारेख (Asha Parekh) को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान (Indian cinema’s biggest honor) ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार (‘Dada Saheb Phalke’ Award) से शुक्रवार को सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह (68th National Film Awards Ceremony) में 79 वर्षीय आशा पारेख को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया। वरिष्ठ अभिनेत्री ने कहा कि वह अपने 80वें जन्मदिन से एक दिन पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं। पिछले साल, 2019 के लिए अभिनेता रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करना बहुत बड़े सम्मान की बात है। मेरे 80वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले मुझे यह सम्मान मिला, मैं इसके लिए आभारी हूं।’ वर्ष 2020 के लिए यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली आशा पारेख ने कहा, ‘यह भारत सरकार की ओर से मुझे मिला सबसे अच्छा सम्मान है। मैं जूरी को इस सम्मान के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।’ भारतीय फिल्म जगत को बेहतरीन स्थान बताते हुए, अभिनेत्री ने कहा कि वह 60 साल बाद भी फिल्मों से जुड़ी हुई हैं।
बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली आशा पारेख ने कहा, ‘हमारा फिल्म जगत सबसे अच्छी जगह है। और मैं इस जगत में युवाओं को दृढ़ता, दृढ़ संकल्प, अनुशासन और जमीन से जुड़े रहने का सुझाव देना चाहती हूं, और मैं आज रात पुरस्कार पाने वाले सभी कलाकारों को बधाई देती हूं।’ राष्ट्रपति ने सिनेमा जगत की जानी-मानी हस्ती को बधाई देते हुए कहा कि पारेख को दिया गया यह पुरस्कार ‘अदम्य नारी शक्ति’ के लिए भी सम्मान है।
मुर्मू ने कहा, ‘मैं 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सभी विजेताओं को बधाई देती हूं। मैं दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित की गई आशा पारेख जी को विशेष बधाई देती हूं। उनकी पीढ़ी की हमारी बहनों ने कई बाधाओं के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।’ दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की पांच सदस्यीय चयन समिति ने सम्मान के लिए पारेख का चयन किया। इस समिति में आशा भोंसले, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लों, उदित नारायण और टीएस नागभरण शामिल हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पारेख ने कई महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘देविका रानी जी 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पहली विजेता थीं। और आज इससे अभिनेत्री आशा पारेख को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने दशकों तक न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक दर्शकों का मनोरंजन किया। वह भारतीय संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक ले गईं। आशा जी, आपने बहुत सी महिलाओं को आगे बढ़ने और सिनेमा और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।’
1960-1970 के दशक में पारेख की शौहरत उस दौर के अभिनेता राजेश खन्ना, राजेंद्र कुमार और मनोज कुमार के बराबर थी। अपने पांच दशक लंबे करियर में अभिनेत्री ने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इनमें ‘दिल देके देखो’, ‘कटी पतंग’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने,’ ‘प्यार का मौसम’ और ‘कारवां’ जैसी फिल्में शुमार हैं।