राष्ट्रपति का देश के नाम संदेश, बोलीं-भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन
नई दिल्ली: राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को लोकतंत्र के बारे में पश्चिमी देशों की अवधारणा से भी अधिक प्राचीन बताते हुए गुरुवार को कहा कि देश के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा। मुर्मु ने आज 75वें गणतंत्र की पूर्व संध्या पर देशवासियों के नाम अपने संदेश में कहा ,“ गणतंत्र दिवस, हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।” उन्होंने आकशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारित अपने संबोधन में देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा,“भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था,लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।” राष्ट्रपति ने कहा,“ हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा।” उन्होंने इसके लिए सभी देशवासियों से संविधान में निहित मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करते हुए कहा,“ ये कर्तव्य, आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में, प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं।” इस संदर्भ में उन्होंने महात्मा गांधी के इस कथन का उल्लेख किया कि‘जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है। केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है।’ उन्होंने कहा,“ जब हम अपने संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों में से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है। संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम हैं। हमारी विविधता का यह उत्सव, समता पर आधारित है जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है। यह सब, स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव हो पाता है।” राष्ट्रपति ने कहा,“ इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है। डॉक्टर बी. आर. आंबेडकर के प्रबुद्ध मार्गदर्शन में प्रवाहित, इन मूलभूत जीवन-मूल्यों और सिद्धांतों में रची-बसी संविधान की भावधारा ने, सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है।” राष्ट्रपति ने गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या संबोधन में पर सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों के प्रति देशवासियों की ओर से आभार जताया और उनका अभिनंदन किया।उन्होंने कहा,“ ‘इन बालों की बहादुरी और सतर्कता के बिना, हम उन प्रभावशाली उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर सकते थे जो हमने हासिल की हैं।” उन्होंने न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों , विदेशों में नियुक्त भारतीय मिशनों के अधिकारियों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों को भी इस अवसर पर बधाई दी और सभी देशवासियों से ‘यथाशक्ति राष्ट्र और देशवासियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेने’ का आह्वान किया।