नई दिल्ली: भारत और रूस के संबंध इस वक्त चर्चा में हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूदा वक्त में पांच दिन के रूस दौरे पर हैं. इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुछ ऐसा किया जिसकी उम्मीद कम ही की जाती है. दरअसल, पुतिन सभी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिले और उन्होंने पीएम मोदी को रूस आने का न्योता भी दिया. आमतौर पर पुतिन केवल अपने समकक्ष से ही इस तरह वन टू वन मुलाकात करते हैं. इससे पहले वो इसी तर्ज पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलकर परंपरा तोड़ चुके हैं.
राष्ट्रपति पुतिन की सेना ने बीते साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था. जिसके बाद अमेरिका और यूरोप के देशों द्वारा रूस को आर्थिक रूप से अलग थलग कर दिया गया. भारत ने मुश्किल वक्त पर भी रूस का साथ नहीं छोड़ा. पीएम मोदी की डिप्लोमेसी काम आई और उन्होंने पश्चिमी देशों व रूस से संबंधों के बीच संतुलन बनाए रखा. भारत ने न सिर्फ रूस से कच्चा तेल खरीदा बल्कि जी20 बैठक के दौरान रूस व अन्य देशों के बीच अलगाव के बीच सभी को एक मंच पर लाने में कामयाब रहे थे. यही वजह है कि पुतिन भारत के विदेश मंत्री को काफी अहमियत दे रहे हैं.
जयशंकर के दौरे से क्या कुछ निकलकर आया?
रूस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन से पहले अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी. दोनों के बीच रक्षा क्षेत्र में कई सौदे हुए. रूस भारत को अपने आधुनिक हथियार न सिर्फ बेचने के लिए तैयार हो गया बल्कि वो तकनीक ट्रांसफर के लिए भी भारत का साझेदार बनने को तैयार है.
जयशंकर के दौरे के दौरान भारत-रूस के बीच कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट पर महत्वपूर्ण समझौता हुआ है. रूस प्लांट के विस्तार में भारत की मदद करेगा. इसके छह नए रिएक्टर को रूस की मदद से बनाया जाएगा.