गुणवत्तायुक्त होगी पैरा मेडिकल और नर्सिंग की पढ़ाई, निकलेंगे योग्य नर्स और टेक्निशियन

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने एएनएम, जीएनएम और पैरा मेडिकल कोर्सेज संचालित करने वाले सेंटरों पर शिकंजा कस दिया है। इनमें मानक अनुसार पढ़ाई, पारदर्शिता और शुचिता के साथ परीक्षा के लिए एएनएम, जीएनएम और पैरा मेडिकल छात्रों को अब दूसरे सेंटरों पर एग्जाम देने होंगे।

योगी 1.0 में नर्सिंग और पैरा मेडिकल की नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग के माध्यम से 4743 पदों पर भर्ती निकाली गई थी, जिसमें एक लाख दो हजार 41 युवाओं ने आवेदन किया था, लेकिन चयन सिर्फ तीन हजार 14 युवाओं का ही हो पाया था। इतनी बड़ी संख्या में युवाओं के आवेदन के बावजूद मात्र तीन फीसदी ही उत्तीर्ण हुए थे। इसका मुख्य कारण अभ्यर्थियों का अयोग्य होना पाया गया था। सीएम योगी ने इसे गंभीरता से लिया था और चिकित्सा शिक्षा विभाग को मानक अनुसार नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेज की पढ़ाई कराने के निर्देश दिए थे।

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सीएम योगी के आदेशों को अक्षरश: धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहली बार हाल ही में हुई 68 परीक्षा केंद्रों पर सात हजार से अधिक एएनएम, जीएनएम और पैरा मेडिकल छात्रों ने दूसरे सेंटरों पर परीक्षा दी है। चार दिनों और आठ पारियों में हुई परीक्षा में पारदर्शिता और शुचिता बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षकों के साथ परीक्षा केंद्रों के प्रधानाचार्यों को भी प्रशिक्षण दिया गया था। चार दिनों में पहले दिन धोखाधड़ी के केवल दो मामले मिले। दोनों मामलों में तत्काल कार्रवाई हुई। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से छात्रों की सुविधा का ध्यान रखते हुए सेंटर तक ले जाने के लिए बसों की सुविधा भी दी गई थी। इसी पैटर्न पर सितंबर के महीने में 50,000 से ज़्यादा छात्रों की वार्षिक परीक्षा होगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर नर्सिंग और पैरा मेडिकल की पढ़ाई को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए शिक्षण संस्थानों में मानकों का धरातल पर पालन कराया जा रहा है। ऐसे संस्थान जो सिर्फ कागजों में थे या मानकों को पूरा नहीं करते थे, उनकी मान्यता निरस्त की गई है। पिछले छह महीने में 440 सेंटरों में नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेज चलाने की मान्यता भी दी गई है। परीक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए हर केंद्र पर मेडिकल कॉलेजों से स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के साथ बाहरी केंद्रों में परीक्षा कराई जाएगी।

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