राहुल गांधी ने किया हिंदू समाज का अपमान – अश्विनी वैष्णव

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सोमवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि राहुल गांधी ने संसद में संपूर्ण हिंदू समाज को हिंसक और असत्यवादी बताकर, हिंदू समाज का घोर अपमान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी के भाषण की निंदा की।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का चरित्र देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का रहा है। वहीं किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद किसी नेता या परिवार से नहीं, बल्कि नियम और व्यवहार से चलता है। राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया। वहीं सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि संसद में जिस तरह से भगवान शंकर के चित्र को दिखाया जा रहा था, वह बेहद ही आपत्तिजनक था। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राहुल गांधी ने अयोध्या में मुआवजे पर भी भ्रामक बातें की। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने अयोध्या में लोगों को दिए गए मुआवजे के आंकड़े जारी किए हैं। करीब 4215 दुकानदारों को 1253 करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा दुकानों के स्थानांतरण में भी प्रशासन ने जनभागीदारी के साथ कार्य किया है।

भाजपा नेता ने कहा, आज राहुल गांधी ने संसद में संपूर्ण हिंदू समाज को हिंसक और असत्यवादी बताकर, हिंदू समाज का घोर अपमान किया है। कांग्रेस ने यह भी पहली बार नहीं किया है। 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था। यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे सुशील शिंदे ने भी हिंदुओं को आतंकवादी बताया था। 2021 में राहुल गांधी ने हिंदुत्ववादियों को देश से बाहर निकालने को कहा था और आज संपूर्ण हिंदुओं को असत्यवादी और हिंसक कहा है। राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के पद की गरिमा को नीचा और कमजोर करने का काम किया है। पूरा देश राहुल गांधी के इस बयान से दुखी है और इस बयान की जितनी निंदा की जाए वह कम है।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, राहुल गांधी ने सत्ता में रहते हुए भी कोई जिम्मेदारी नहीं ली थी। मगर आज पहली बार कोई जिम्मेदारी संभालने के बाद भी उन्होंने अति गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य दिए। राहुल गांधी ने कहा कि अग्निवीर योजना में शहीदों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता, इससे बड़ा झूठ हो नहीं सकता है। रक्षा मंत्री ने सदन में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी को स्पष्ट किया कि अग्निवीर योजना में शहीदों को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष के पद पर भी गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की, जो बहुत ही दुखद है। वह भारतीय संस्कृति के अनुरूप किए गए व्यवहार को नहीं समझ सकते हैं, क्योंकि उन्हें संस्कृति के बारे में जानकारी ही नहीं है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी ने जो बोला है, वह आज के समय में कांग्रेस की फितरत बन चुकी है। त्रिवेदी ने राहुल गांधी से सवाल पूछा कि उन्होंने लोकसभा में ईश्वर के नाम की शपथ क्यों नहीं ली? जब राहुल गांधी ईश्वर के नाम की शपथ नहीं ले रहे हैं और ईश्वर में निष्ठा नहीं रख रहे हैं, तो फिर ईश्वर के चित्र क्यों दिखा रहे हैं ? राहुल गांधी को गंभीरता और परिपक्वता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।

वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आज संसद के विशेष सत्र में सही तरीके से बहस शुरू हुई, इसमें राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देंगे। 2004 से जब राहुल गांधी किसी पद पर नहीं थे, तो उनके व्यवहार में नाटकीयता और मजाक झलकता था। लेकिन आज राहुल गांधी लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं और एक संवैधानिक पद पर हैं, तो हम लोग उम्मीद कर रहे हैं, कि वे परिपक्वता के साथ अपने व्यवहार और आचरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

मंत्री ने कहा, आज राहुल गांधी के भाषण के दौरान जो हमने देखा है, बार-बार पीठासीन अधिकारी की कुर्सी से उन्हें बोला गया कि आप बात करते समय पीठ स्पीकर की तरफ न करें, क्योंकि नियमानुसार जब कोई सांसद सदन में बोलता है, तो उसकी पीठ, पीठासीन अधिकारी की तरफ नहीं होनी चाहिए। बहस का स्तर इस तरह गिर गया है कि आज से पहले किसी ने इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा।

रिजिजू ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीस और प्रणव मुखर्जी से नए सांसद बहुत कुछ सीखते थे। लेकिन राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होते हुए नए सांसदों के पास सीखने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया। संसद किसी नेता या परिवार से नहीं, बल्कि नियम और व्यवहार से चलता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी का ज्ञानवर्धन करना चाहिए और समझाना चाहिए कि भारत की संसदीय गरिमा को कम न करें।

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