राहुल गांधी ‘भारत जोड़’ रहे, दिग्गज कांग्रेस छोड़ रहे; हिमंत, सिंधिया से बादल तक ऐसे टूटे साथी

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नई दिल्ली: राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले हैं। इधर उनकी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने इस्तीफा देकर अपनी राह अलग कर ली। बुधवारा को पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के काम करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब कांग्रेस पार्टी को दिग्गज नेताओं ने झटका दिया है। इससे पहले हिमंता बिस्व सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुलाम नबी आजाद सरीखे नेताओं ने भी अपनी राह अलग कर ली थी। राहुल गांधी के नाम लिखी एक चिट्ठी में मनप्रीत बादल ने लिखा है कि दिल्ली में नेताओं की एक मंडली पंजाब कांग्रेस को चला रही है। इससे केवल गुटबाजी बढ़ी है। उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया।

आपको बता दें कि हिमंत बिस्वा सरमा ने 2015 में पार्टी छोड़ी तो गुलाम नबी आजाद ने पिछले साल सितंबर में अपनी राह अलग करते हुए एक पार्टी का गठन किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, सुनील जाखड़, हार्दिक पटेल, एन बीरेन सिंह, प्रेमा खांडू, पीसी चाको और जयवीर शेरगिल जैसे कई दिग्गज नेता हाल के कुछ वर्षों में कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं।

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की तत्कालीन अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफा दिया था। इस दौरान उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के काम करने के तरीके पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी घेरा था। आजाद ने कहा था कि राहुल गांधी ने राजनीति में प्रवेश करने के बाद खासकर सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस के पूरे परामर्श तंत्र को ध्वस्त कर दिया।

2015 में जब हिमंता बिस्वा सरमा इस्तीफा दिया था तो उन्होंने भी राहुल गांधी को ही इसका जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने लिखा था, ”राहुल गांधी अहंकारी हैं। वह स्वार्थी और असुरक्षित नेता हैं। उनका सनकी स्वभाव है। मुझे और मेरी पत्नी को उन्होंने अपमानित किया गया। कांग्रेस निरंकुश परिवार की राजनीति को बढ़ावा दे रही है। इसने असम के लोगों के साथ विश्वासघात किया है।” आपको बता दें कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। आज वह असम के मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी ने सरमा की मदद से पूर्वोत्तर के राज्यों को कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करना शुरू किया। इन इलाकों में सरमा की लोकप्रियता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक है।

आजाद के इस्तीफे के बाद सरमा ने कहा था, ”मैंने कहा था कि एक समय आएगा जब कांग्रेस में केवल गांधी ही रह जाएंगे। सभी वफादार चले जाएंगे। यही हो रहा है। कांग्रेस में समस्या यह है कि हर कोई जानता है कि राहुल गांधी अपरिपक्व, सनकी और अप्रत्याशित हैं।’ उन्होंने राहुल गांधी को भाजपा के लिए वरदान भी बताया। आजाद से पहले कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार ने भी पिछले साल कांग्रेस छोड़ दी थी। सिब्बल ने अक्सर कहा कि राहुल गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बनाने जैसे सभी फैसले लेते हैं। इसके कारण सुनील जाखड़ को इस्तीफा देना पड़ा।

46 वर्षों तक कांग्रेस में रहे अश्विनी कुमार ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि कांग्रेस जमीनी हकीकत से काफी दूर रहती है। अमरिंदर सिंह को भी कांग्रेस ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से बेदखल कर दिया था। राहुल गांधी ने उनके कट्टर विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को चुनावों से ठीक पहले पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। उस चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने सोनिया गांधी के नाम इस्तीफा पत्र लिखते हुए अपने 18 साल के संबंधों को खत्म कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार भी गिरा दी थी। सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए। मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी। सिंधिया आज केंद्र में एक कद्दावर मंत्री हैं।

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