मुंबई: मुंबई का धारावी इलाक़ा दुनिया भर में अपनी झुग्गी बस्तियों, तंग गलियों और छोटे-मोटे व्यवसायों के लिए जाना जाता है। यहाँ आने वाले विदेशी टूरिस्ट अक्सर झुग्गियों के बीच तस्वीरें खिंचवाकर अपने देश में भारत की गरीबी को दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन विदेशी ही नहीं, हमारे देश के कुछ नेता भी राजनीति के लिए गरीबी और झुग्गी बस्तियों का इस्तेमाल करने में माहिर हैं। ऐसा ही नज़ारा 6 मार्च 2025 को देखने को मिला, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी धारावी के एक ‘प्राइवेट दौरे’ पर पहुँचे। दौरे की जानकारी मीडिया को नहीं दी गई थी, लेकिन जब हमारी टीम को इसकी भनक लगी, तो हम भी वहाँ पहुँचे।
तीन घंटे तक ‘ग़ायब’ रहे राहुल गांधी, बाहर आते ही हवा में लहराए हाथ
दोपहर 12:30 बजे राहुल गांधी के धारावी पहुँचने का समय तय था। पत्रकारों और अधिकारियों की भीड़ इंतज़ार कर रही थी। करीब एक घंटे की देरी से राहुल गांधी आए और सीधे एक झुग्गी के अंदर चले गए। बाहर मौजूद सभी लोग यह सोचते रहे कि राहुल गांधी धारावी में झुग्गीवासियों से मिल रहे होंगे, उनकी समस्याएँ सुन रहे होंगे, या किसी ज़मीनी मुद्दे पर चर्चा कर रहे होंगे। लेकिन असली सच्चाई तब सामने आई जब तीन घंटे बाद राहुल गांधी बाहर निकले। उनके गले में माला थी, उन्होंने कुछ सेकंड तक हवा में हाथ हिलाया और बिना एक शब्द कहे निकल गए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘इमेज बिल्डिंग’ का सबूत
इस दौरे के बाद अचानक सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें राहुल गांधी चमड़े का बैग सिलते हुए दिखाई दे रहे थे। तस्वीरें इतनी परफेक्ट एंगल से ली गई थीं कि यह साफ़ हो गया कि यह एक प्रोफेशनल फ़ोटोशूट था। दिलचस्प बात यह रही कि बैग पर ‘राहुल गांधी’ और ‘प्रियंका गांधी’ के नाम भी लिखे गए थे। इस तस्वीर को देखने के बाद लोगों को उनकी पुरानी तस्वीरें याद आ गईं—कभी ट्रक चलाते हुए, कभी ढाबे पर चाय बनाते हुए, कभी रसोई में खाना पकाते हुए। अब तक जनता को लगता था कि ये तस्वीरें संयोगवश ली गई होंगी, लेकिन धारावी के इस ‘गुप्त दौरे’ ने यह साफ़ कर दिया कि यह सब एक सुनियोजित ‘इमेज मेकिंग’ रणनीति का हिस्सा था।
राहुल गांधी धारावी ही क्यों पहुँचे? असली वजह आई सामने
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी धारावी ही क्यों पहुँचे?
दरअसल, बीते कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी धारावी के पुनर्विकास का ज़बरदस्त विरोध कर रही थी। पार्टी ने इसे गरीब विरोधी नीति बताया, लेकिन जनता ने इस विरोध को नकार दिया और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार मिली। अब राहुल गांधी को यह एहसास हो गया कि धारावी हमेशा झुग्गी बस्ती नहीं रहने वाली। यहाँ तेजी से पुनर्विकास हो रहा है, और आने वाले वर्षों में यह इलाक़ा पूरी तरह बदल सकता है। ऐसे में झुग्गियों की तस्वीरें दिखाकर ‘गरीबी कार्ड’ खेलने की राजनीति ज़्यादा दिन नहीं चलेगी।
बीजेपी मंत्री सुशील गुप्ता का बयान: ‘जनता समझ चुकी है राहुल गांधी का ड्रामा’
बीजेपी नेता सुशील गुप्ता ने राहुल गांधी के इस दौरे पर तंज कसते हुए कहा—
“राहुल गांधी अब समझ चुके हैं कि धारावी जल्द बदल जाएगी, इसलिए उन्होंने आनन-फानन में एक ‘गरीब-प्रेमी’ फ़ोटोशूट करा लिया। वे चर्मकार समुदाय के साथ बैठकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि वे ज़मीन से जुड़े नेता हैं। लेकिन जनता अब इन ‘इमेज बिल्डिंग नाटकों’ को अच्छे से समझ चुकी है। यह गरीबों के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि उनका मज़ाक उड़ाने जैसा है।”
क्या राहुल गांधी की ‘इमेज बिल्डिंग’ सफल होगी?
राहुल गांधी का यह दौरा जनता को कितना प्रभावित करेगा, यह तो आने वाले चुनाव ही बताएंगे। लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरह से इस ‘फ़ोटो सेशन’ की चर्चा हो रही है, उससे यह साफ़ है कि लोगों को यह दौरा प्राकृतिक नहीं, बल्कि कृत्रिम लगा। क्या कांग्रेस इस तरह के ‘डाउन टू अर्थ’ फोटोशूट से अपनी छवि बदल पाएगी, या जनता अब इन ‘राजनीतिक नौटंकियों’ को पहचान चुकी है? जवाब आने वाले समय में मिलेगा।