नई दिल्ली: रेलवे के ड्राइवर यानी लोको पायलट को देखा है आपने? ट्रेन चलाने वाले ये ड्राइवर यदि थक जाएं तो फिर परिणाम सिंहपुर रेल दुर्घटना0 के रूप में सामने आता है। इस हादसे से रेल मंत्रालय ने सबक ले लिया है। अब रेलवे बोर्ड ने तय कि है कि कोई भी ड्राइवर लगातार नौ घंटे से ज्यादा ट्रेन नहीं चलाएंगे। यही नियम गार्ड या ट्रेन मैनेजर भी लागू होगा।
दक्षिण-पूर्व रेलवे (SECR) के बिलासपुर रेल डिवीजन में बीते बुधवार को सुबह सुबह एक भीषण दुर्घटना हो गई थी। उस दिन दो मालगाड़ी के बीच आमने-सामने की भिड़ंत हो गई थी। उसी में एक ट्रेन का लोको पायलट भी मारा गया था। शुरुआती जांच में पता चला कि शहडोल सेक्शन के सिंहपुर रेलवे स्टेशन के पास सिग्नल ओवरशूट होने की वजह से दोनों मालगाड़ी आपस में टकराई थी। उस मालगाड़ी का ड्राइवर 14 घंटे से ट्रेन चला रहा था। समझा जाता है कि ड्राइवर को झपकी आ गई होगी और सिगनल ओवरशूट हो गया।
रेल मंत्रालय से 24 अप्रैल को एक चिट्ठी सभी जोनल रेलवे के जीएम के नाम जारी हुई है। इसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि कोई भी रनिंग स्टाफ नौ घंटे से भी ज्यादा ड्यूटी नहीं करेगा। इसमें कहा गया है कि रनिंग स्टाफ के साइन ऑन और साइन ऑफ का समय नौ घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यदि असामान्य हालत में इससे ज्यादा ड्यूटी करनी भी पड़े तो इसे अधिकतम दो घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसी सूरत में क्रू को ड्यूटी खत्म करने से दो घंटे पहले सूचित करना होगा।
रेलवे के लोको पायलट बताते हैं कि इस समय ट्रेन ड्राइवर्स की भीषण तंगी है। इसलिए ड्राइवर्स को 14 घंटे तक या इससे ज्यादा समय तक भी ट्रेन चलाना पड़ता है। ड्यूटी आवर्स ज्यादा होने की वजह से दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। ड्राइवर्स बताते हैं कि कभी कभी उन्हें नियमानुसार पर्याप्त रेस्ट भी नहीं मिलता है। एक ट्रेन लेकर आए, ढंग से नींद भी नहीं ली कि फिर दूसरी ट्रेन को लेकर डेस्टिनेशन पर निकल जाना पड़ता है।