लखनऊ। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम हो गया है। खास कर छोटे दलों के लिए जनता के बीच अपनी पकड़ नापने का जरिए बन चुका है। उसमें अभी हाल में सपा से अलग हुए राजभर की पार्टी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाकर अपने को मजबूत बनाने में जुटी है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो निकाय चुनाव के परिणाम इन दलों को आकार देने का काम करेंगे। जानकर बताते हैं कि निकाय चुनाव में सुभासपा को मिले जनाधार ही लोकसभा चुनाव में भाजपा और सुभासपा के संबंधों का आधार तय करेगी। इसके आधार पर ही लोस चुनाव के मद्देनजर आगे के रिश्ते का फॉर्मूला तय होगा।
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि निकाय चुनाव के माध्यम से राजभर की पार्टी अपने जनाधार को दिखाना चाहती है। राजभर की रणनीति है कि पूर्वांचल के निकायों में सर्वाधिक उम्मीदवारों को जीताकर या वोट प्रतिशत बढ़ाया जाए। इसी कारण पार्टी के अध्यक्ष समेत सभी नेताओं का ध्यान पूर्वांचल पर ज्यादा हालांकि जहां उम्मीदवार खड़ा वहां भी लोग जा रहे हैं। चूंकि सुभासपा लोकसभा चुनाव में मऊ, बलिया और गाजीपुर जिले के ही किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहती है, इसलिए इन तीन जिलों के संबंधित निकायों में ही बेहतर परिणाम लाने को लेकर अधिक सक्रिय है ताकि लोकसभा चुनाव में इसी के आधार पर मोलभाव कर सकें।
राजभर का फोकस बड़े नगर निगम के बजाय छोटे निकायों पर अधिक है। इसीलिए नगर निगम में छह, पालिका में 62 और नगर पंचायतों में 102 उम्मीदवार उतारे हैं। उन्होंने पूर्वांचल के साथ पश्चिम में भी प्रत्याशी उतार कर एक संदेश देने की कोशिश की है।