नाबालिग पत्नी से यौन संबंध बनाने पर भी दर्ज होगा रेप केस, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

0 11

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा है कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से कम है, तो सहमति से यौन संबंध बनाने वाले के खिलाफ भी रेप का मामला दर्ज हो सकता है। उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। दोषी का तर्क था कि पीड़िता के साथ यौन संबंध सहमति से बनाए गए थे और उस समय वह उसकी पत्नी थी। ऐसे में इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता है। जस्टिस गोविंद सनप की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 नवंबर को जारी आदेश में जज ने कहा, ‘एपेक्स कोर्ट की ओर से निर्धारित कानून के मद्देनजर यह बात स्वीकार नहीं की जा सकती कि अपीलकर्ता का पीड़ित पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार या यौन हिंसा नहीं माना जाएगा। यह बताना जरूरी है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ संभोग करना बलात्कार है, फिर चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं।’

अदालत ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए इस मौजूदा मामलें में पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध के बचाव तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा मान भी लिया जाए कि दोनों के बीच तथाकथित विवाह हुआ था, तो भी पीड़िता की तरफ से आरोपों के मद्देनजर कि कि यौन संबंध उसकी सहमति के बगैर बने थे, इसे रेप माना जाएगा।’

9 सितंबर 2021 को वर्धा जिले के ट्रायल कोर्ट ने युवक को POCSO एक्ट के तहत दोषी पाया था। अब उसने हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। अपीलकर्ता को नाबालिग लड़की की शिकायत के बाद 25 मई 2019 को गिरफ्तार किया गया था। खास बात है कि उस समय लड़की 31 सप्ताह की गर्भवती थी। पीड़िता का कहना था कि दोनों के बीच प्रेम प्रसंग था और अपीलकर्ता ने उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए और शादी का झूठा वादा कर इसे जारी रखा।

गर्भवती होने के बाद पीड़िता ने अपीलकर्ता से शादी करने के लिए कहा था। इसके बाद उसने एक घर किराए पर लिया और पड़ोसियों की मौजूदगी में हर पहनाए और भरोसा दिलाया कि वह उसकी पत्नी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद उसने शिकायतकर्ता से अबॉर्शन कराने के लिए जोर डाला। हालांकि, पीड़िता ने इससे इनकार कर दिया था और मारपीट के आरोप लगाए। जब आरोपी ने पीड़िता को उसके माता-पिता के घर पर पीट, तब उसे एहसास हुआ कि अपीलकर्ता ने शादी का दिखावा किया है और उसका शोषण किया है।

ट्रायल कोर्ट में क्रॉस एग्जामिनेशन में पीड़िता ने स्वीकार किया है कि उसने बाल कल्याण समिति में शिकायत की है। साथ ही तस्वीरों के हवाले से अधिकारियों को बताया था कि वह उसका पति है। अब इसके आधार पर अपीलकर्ता ने कहा था कि यौन संबंध सहमति से बने थे। बेंच ने कहा, ‘मेरे विचार में इस दलील को स्वीकार नहीं करने के एक से ज्यादा कारण हैं। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया है कि अपराध के समय पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी।’ कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.