नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी पेयू को लगभग 15 महीने के बाद ‘पेमेंट एग्रीगेटर’ के तौर पर काम करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। कंपनी ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि रिजर्व बैंक ने प्रोसस बैक्ड फिनटेक फर्म पेयू को पेमेंट एग्रिगेटर (पीए) के रूप में काम करने और नए मर्चेंट्स को फिर से जोड़ने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इन प्रिंसिपल (सैद्धांतिक) मंजूरी फाइनल लाइसेंस नहीं होता लेकिन कंपनियां इसके जरिए 6 से 12 महीने तक काम कर सकती है।
पेयू सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के साथ ही अब नए कारोबारियों को डिजिटल भुगतान सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने साथ जोड़ सकती है। कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अनिर्बान मुखर्जी ने कहा कि यह लाइसेंस भारत में वैश्विक स्तर पर चर्चित डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचा स्थापित करने के हमारे लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है। ‘पेमेंट एग्रीगेटर’ एक तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता होता है, जो ग्राहकों और कारोबारियों को भुगतान को लेकर एक मंच पर लाता है। यह ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान करने और कारोबारियों को भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाता है।