नई दिल्ली : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के जरिये अब मरीज में तनाव की पहचान करना आसान होगा। नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने इस तकनीक से मरीजों में तनाव की पुष्टि की है। नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में छपे शोध में अलग अलग देशों के 10 से 25 वर्ष तक की आयु के बच्चे और किशोरों को शामिल किया गया।
कुल 3500 बच्चों और किशोरों के साथ साथ युवाओं पर मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए तनाव की पहचान की गई। यह एक प्रकार का एआई प्रणाली है जो मशीनों को स्पष्ट प्रोग्रामिंग के बिना डाटा विश्लेषण से सीखने और सुधारने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने देखा, बहुत कम समय में एआई एल्गोरिदम की वजह से मरीज में तनाव की पुष्टि हो रही है। उन्होंने कहा, ये प्रारंभिक नतीजे आगामी दिनों में काफी बेहतर हो सकते हैं।
हालांकि, भौगोलिक स्थिति के आधार पर इसके कार्य में विभिन्नता भी देखने को मिल सकती है। नीदरलैंड के लीडेन विवि के प्रो. मोजी अघाजानी ने बताया कि तनाव संबंधी विकार आमतौर पर सबसे पहले किशोरावस्था और प्रारंभिक वयस्कता के दौरान उभरते हैं। ये विकार दुनिया भर में लाखों युवाओं के लिए बड़ी भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा कर रहे हैं। भारत का युवा वर्ग भी इससे अछूता नहीं है।